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B’Day Spl: इस एक्टर के प्यार में पागल थी नगरिस, सुनील दत्त ने बचाई थी जान

आज बॉलीवुड की उस अदाकारा का जन्मदिन है जिन्होने कम ही समय में अपनी एक्टिंग से लोगों के दिल पर अमिट छाप छोड़ दी. जिन्होने अपनी पहली ही फिल्म को ऑस्कर के लिये नॉमिनेट करवा दिया. जो फिल्म जगत में पद्मश्री पाने वाली पहली हिरोइन बनी, वो थी बॉलीवुड की मदर इंडिया नरगिस दत्त. जिनका आज जन्मदिन है.

व्यक्तिगत जीवन

1 जून यानि की आज नरगिस दत्त का जन्मदिन है. नरगिस ने साल 1935 फिल्म तलाश-ए-हक से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. नरगिस ने राज कपूर के साथ कई सफल फिल्मों में काम किया और फिर मार्च 1958 में नरगिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली. आज उनके जन्मदिन पर आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.

मदर इंडिया से की थी करियर की शुरुआत

‘मदर इंडिया’ में बुजुर्ग महिला का किरदार निभाने वाली पहली अभिनेत्री थीं नरगिस. इस फिल्म में नरगिस ने 28 साल की उम्र में एक बुजुर्ग महिला का किरदार निभाया था. नरगिस की इस फिल्म को 1958 में ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट किया गया था.

सुनील दत्त ने बचाई थी जान

मदर इंडिया’ की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई थी. इस फिल्म में नरगिस के साथ सुनील दत्त भी थे. सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया था सुनील दत्त खुद काफी जल गए वो इतने ज्यादा जल गए थे कि बार-बार बेहोश होने लगे.यही से उनके प्यार की शुरुआत हुईं. आपको बता दें कि फिल्म ‘मदर इंडिया’ में सुनील दत्त उनके बेटे बने थे. सुनील दत्त से शादी करने से पहले नरगिस राज कपूर को डेट कर रही थीं.

नरगिस आत्महत्या करने वाली थी

राज कपूर पहले से शादीशुदा थे इसलिए उनका प्यार आगे नहीं बढ़ा. कहा जाता है कि राज कपूर से अलग होने के बाद नरगिस आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थीं. सुनील दत्त की जिंदगी में आते ही उन्होंने खुद को संभाला. सुनील दत्त से शादी करने के बाद उन्होंने फिल्मी करियर से दूरी बना ली.

पद्मश्री पाने वाली पहली हिरोइन

नरगिस को बॉलीवुड करियर में बहुत मान-सम्मान मिला. उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मनित किया गया था. 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें राज्यसभा सदस्य भी बनाया. मुंबई के बांद्रा में उनके नाम पर सड़क है. हर साल हो रहे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म को नरगिस दत्त पुरस्कार दिया जाता है.

संजय दत्त की फिक्र सताती थी

एक्ट्रेस के साथ-साथ नरगिस एक समाज सेविका भी थी. उन्होंने असहाय बच्चों के लिए काफी काम किया. नरगिस को कैंसर था, जिसका इलाज करवाने के लिए उन्होंने विदेश जाना पड़ा. उस समय उन्हें सबसे ज्यादा संजय दत्त की फिक्र थी. 2 मई 1981 में नरगिस ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उनकी याद में 1982 में नर्गिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन बना.