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जब श्रीकृष्ण ने अपने ही बेटे को दिया था कोढ़ी होने का श्राप, जानिए पीछे की कथा

भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापरयुग में कई सारी रासलीलाएं की. उन्होंने ही महाभारत में भी अपनी अहम भूमिका निभाई. उन्होंने पांडवों को युद्ध में विजय दिलवाई. वहीं उन्होंने कई लोगों को श्राप भी दिया. उसमें से एक श्राप था जिसमें उन्होंने अपने ही बेटे को कोढ़ी होने का दिया था.

ऐसा ही एक पाकिस्तान में स्थित सुल्तान शहर का सूर्य मंदिर है जिसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण का अपने पुत्र को दिये गए श्राप के कारण जाना जाता है. यहीं पर श्रीकृष्ण के पुत्र सांबा ने कोढ़ से मुक्ति पाने के लिये सूर्य देव की पूजा-अर्चना की थी. तो चलिए सुनाते हैं आपको इसके पीछे की कथा…

पुत्र को दिया श्राप 

निषादराज के राजा जामवंत की पुत्री जामवंती थी. जामवंत वे है जो रामायण और महाभारत दोनों काल में उपस्तिथ थे. ग्रंथों के अनुसार बहुमूल्य मणि हासिल करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण और जामवंत में 28 दिनों तक युद्ध चला था. युद्ध के दौरान जब जामवंत ने कृष्ण के स्वरूप को पहचान लिया तब उन्होंने मणि समेत अपनी पुत्री जामवंती का हाथ भी उन्हें सौंप दिया. तब उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई कृष्ण और जामवंती के पुत्र का नाम ही सांबा था. जो बहुत ही सुंदर और आकर्षक था कृष्ण की कई रानियाँ भी उसपर मोहित होती थी कुछ समय पश्चात सांबा बड़ा हुआ उसका विवाह भी हो गया.

मिला कोढी होने का श्राप

एक दिन कृष्ण की एक रानी ने सांबा की पत्नी का रूप धारण कर सांबा को आलिंगन में भर लिया. उसी समय कृष्ण ने ऐसा करते हुए देख लिया. क्रोधित होते हुए कृष्ण ने अपने ही पुत्र को कोढ़ी हो जाने का श्राप दिया. महर्षि कटक ने सांबा को इस कोढ़ से मुक्ति पाने हेतु सूर्य देव की अराधना करने के लिए कहा.

सूर्य देव की आराधना

तब सांबा ने चंद्रभागा नदी के किनारे मित्रवन में सूर्य देव का मंदिर बनवाया और 12 वर्षों तक उन्होंने सूर्य देव की कड़ी तपस्या की. उसी दिन के बाद से आजतक चंद्रभागा नदी को कोढ़ ठीक करने वाली नदी के रूप में ख्याति मिली है. मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने वाले व्यक्ति का कोढ़ जल्दी ठीक हो जाता है.