कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह के नबी हजरत नूह (अ.) की किश्ती को किनारा मिला था। इसके साथ ही आशूरे के दिन यानी 10 वें मुहर्रम को कर्बला में एक ऐसी घटना हुई थी, जिसका विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इसी दिन हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के नवासे (नाती) हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था। इराक स्थित कर्बला में हुए धर्म युद्ध की यह घटना दरअसल सत्य के लिए जान न्योछावर कर देने की अनोखी मिसाल है। ये युद्ध पैगम्बर हजरत मुहम्म्द स० के नाती तथा इब्न ज़्याद के बीच हुआ था। बेशक इसमें जीत हज़रत इमाम हुसैन की हुई, प‍र इब्न ज़्याद के कमांडर शिम्र ने हज़रत हुसैन रज़ी० और उनके सभी 72 साथियो आैर परिजनों को मार कर शहीद कर दिया था। इनमें उनके छः महीने की उम्र के पुत्र हज़रत अली असग़र भी शामिल थे। तभी से दुनिया के मुसलमान आैर कुछ दूसरी क़ौमों के लोग भी इस महीने में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का मातम मनाकर उनको याद करते हैं।

साभार:दैनिक जागरण