अध्यात्म डेस्क|
- हर साल जन्माष्टमी रक्षा बंधन के बाद मनाई जाती है । जन्माष्टमी के त्योहार के कारण बाज़ार कृष्ण जन्मोत्सव संबन्धित सजावट के सामानो से सज गया है.अधिक लोग इस दिन व्रत रहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं क्यों इसे जन्माष्टमी कहा जाता है ?इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं आचार्य राजेश…
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शास्त्रों में इसके व्रत को ‘व्रतराज’ कहा जाता है.
- मान्यता है कि इस एक दिन व्रत रखने से कई व्रतों का फल मिल जाता है। अगर भक्त पालने में भगवान को झुला दें, तो उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति , दीर्घआयु तथा सुखसमृद्धि की प्राप्ति होती है।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है।
- भगवान श्रीकृष्ण श्री विष्णु के आठवें अवतार हैं।इस दिन भगवान स्वयं पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला में झुलाया जाता है।
- सभी लोग इस दिन अलग-अलग तरीके से पूजा-पाठ करते हैं। लेकिन इस दिन इन मंत्रों का जाप बहुत शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। सात अक्षरी, आठ अक्षरी और बारह अक्षरी मंत्र बोलने और जप करने में बड़े सरल और मंगलकारी हैं और ये मंत्र हैं…
ऊं क्रीं कृष्णाय नमः‘गोकुल नाथाय नम:’
‘ऊँ नमो भगवते श्री गोविन्दाय’
‘गोवल्लभाय स्वाहा’
जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे आज विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं।