जलियांवाला बाग के शहीदों को आज पूरा देश नमन कर रहा है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न पार्टी के नेताओं ने जलियांवाला बाग नरसंहार के सौ वर्ष पूरा होने के मौके पर शनिवार को शहीदों श्रद्धांजलि दी। आज से 100 वर्ष पहले हुआ भीषण नरसंहार सभ्यता पर कलंक है। बलिदान का वह दिन भारत कभी नहीं भूल सकता। उनकी पावन स्मृति में जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि प्रदान की गई। वहीं ये ऐसी घटना है जिसे हमारे युवाओं को जानना बहुत जरूरी है। ब्रिटिश हुकूमत के जनरल डायर ने जब निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाईं तब वे बेचारे अपनी जान बचाने के लिए कुएं तक में कूद गए थे और कुआं लाशों से भर गया था।
इस घटना के बाद जनरल डायर के खिलाफ जांच बैठाई गई तो हंटर कमिशन ने उससे कुछ सवाल पूछे। कमिशन ने पूछा कि यह फैसला जब अपने करने जा रहे थे तो आपके पास इस बारे में अपना मन बनाने का समय था। आप इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अगर वहां सच में कोई रैली है तो सही यही होगा कि सीधे उन पर गोलियां चला दी जाए? जवाब में डायर बोला- मैं अपना मन बना चुका था। दूसरा सवाल था कि क्या आपको आभास था कि आपकी सेना पर भी जवाबी हमला हो सकता है? इसके जवाब में डायर ने कहा कि नहीं, स्थिति बेहद गंभीर थी। मैं अपना मन बना चुका था कि अगर मीटिंग उसके बाद भी जारी रहती तो मैं सभी लोगों को मार देता। डायर को अत्याचार जनरल कहा जाता है और इस घटना ने पूरे विश्व को हिला दिया था।
मासूम और निहत्थे भारतीयों का खून बहाने वाले जनरल डायर पर इस घटना का कोई असर नहीं हुआ, उल्टा उसने इस जनसंहार को सही ठहराया था। घटना के बाद डायर ने कहा कि यह जनसंहार दूरगामी प्रभाव के लिए ज़रूरी था। उसने स्वीकार किया कि अगर और गोलियां होतीं तो फ़ायरिंग और देर तक जारी रहती, इसका सीधा मतलब ये था कि अगर डायर के सिपाहियों की गोलियां ख़त्म नहीं होतीं तो जलियांवाला में और लाशें गिरतीं।