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जाह्ववी कपूर : श्रीदेवी की बेटी हूँ इस लिए मिला स्टारडम… मै कोई स्टार नहीं…

पीले रंग के सूट सलवार में जब उन्होंने एंट्री ली तो एकाएक ही उनकी सादगी देखकर खुशी हुई। इंटरव्यू के दौरान जाह्नवी ने जिस तरह सारे सवालों पर खुलकर बातें की, उसके लिए थोड़ी तारीफ तो बनती है।

डेब्यू फिल्म पर बातें हो या स्टारडम पर या मां श्रीदेवी पर, जाह्ववी कपूर ने धैर्यपूर्वक सारी बातें शेयर कीं। उनकी पहली फिल्म धड़क 20 जुलाई को दर्शकों के सामने होगी। जो सुपरहिट मराठी फिल्म सैराट की हिंदी रीमेक है।

जाह्नवी ने धड़क पर बात करते हुए साफ कहा कि- मुझे पता है सैराट से तुलना होगी ही क्योंकि इमोशनली हम सभी उस फिल्म से काफी ज्यादा जुड़े हुए हैं। लेकिन मैंने इस फिल्म में ईमानदारी से मेहनत की है। मुझे उम्मीद है कि लोगों को धड़क पसंद आएगी। यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश…

आपका पहला रिएक्शन क्या था, जब आपको जानकारी मिली कि सैराट रीमेक में आप फाइनल हैं?

बहुत खुशी थी। मेरे लिये यह बहुत ही बड़ा मौका है। मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूँ। जब मैंने सैराट देखी थी, तब मुझे पता भी नहीं था कि वो लोग रीमेक बनाने वाले हैं। सैराट देखकर उनके किरदारों के साथ एक जुड़ाव हो जाता है। उस फिल्म ने मुझे बहुत प्रभावित किया था।

अब अगर मुझे मौका मिल रहा है, वही प्रभाव दर्शकों पर डालने का, तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। मैं फ़िल्म को लेकर बेहद उत्साहित हूँ। और हां, इन सबके अलावा शशांक खेतान के साथ काम करने का मौका .. उनकी पहली दो फिल्में मुझे बहुत पसंद है। करण जौहर से कुछ सीखने का मौका, ये सभी मेरे लिए बहुत बड़ी बात हैं।

आप और ईशान दोनों ही फ़िल्म बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते हैं। धर्मा प्रोडक्शन इतनी बड़ी प्रोडक्शन हाउस है। ऐसे में थोड़ा टेंशन तो होगा?

हाँ, ये बहुत सारी पॉजिटिव बातें हैं और मैं सिर्फ उन्हीं बातों पर फोकस कर रही हूं। मैं ये प्रेशर, उम्मीदें.. इन सब के बारे में फिलहाल सोचना ही नहीं चाहती। शूटिंग के दौरान भी मुझ पर कोई प्रेशर नहीं था। मैंने फ़िल्म शूटिंग करना बहुत एन्जॉय किया, बहुत कुछ सीखा। वह बहुत अलग दुनिया थी हमारे लिए।

फ़िल्म इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले आपने क्या क्या ट्रेनिंग ली है या क्या तैयारियां की हैं?

मैंने कोई विशेष तैयारी तो नहीं की है। लेकिन 2 साल पहले मैंने एक एक्टिंग कोर्स किया था। फिर मुझे फैशन कोर्स के लिए भी जाना था। लेकिन फ़िल्म कोर्स के दौरान ही मुझे एहसास हो गया कि मुझे एक्टिंग ही करनी है। जब मैंने एक्टिंग में आना फाइनल किया, फिर मुझे लगा कि मुझे अपनी हिंदी पर काम करना है, अपनी ज़ुबान साफ करनी है। डांस सीखना है क्योंकि उससे आपको हावभाव दिखाने में मदद मिलती है। मैंने इन सब चीज़ों पर काम किया। और फिटनेस पर ध्यान दिया।

फ़िल्म के प्रोमोशन के दौरान आप लोग कई शहरों में गए। क्या इससे पहले मौका मिला था दूसरे शहरों में जाने का, लोगों से मिलने का?

बहुत बार गयी हूं, लेकिन जब मम्मी पापा के साथ जाती थी तो ज़्यादा आज़ादी नहीं मिलती थी। उनके साथ बाहर घूमने में थोड़ी मुश्किल होती थी। लेकिन अभी पहली बार मुझे लगा था कि मैं किसी जगह गयी और वहाँ के लोकल की तरह फील करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आया। मैं दो तीन बार गयी थी जयपुर और उदयपुर लेकिन ऐसे घूम नई पायी थी।

हाल ही में फ़िल्म श्रीदेवी जी की फ़िल्म सदमा ने 35 बरस पूरे किए हैं। उस फिल्म से जुड़ी आपकी कुछ यादें हैं?

मैं आठ या नौ साल की रही होंगी जब मैंने सदमा देखा। फिर मैंने दो दिन तक माँ से बात नहीं की थी क्योंकि मुझे गुस्सा था कि उन्होंने अंत में कमल हसन जी को क्यों नहीं पहचाना। वैसे मैं मम्मी की काफी कम फिल्में ही देख पाती थी क्योंकि हर फिल्म में उन्हें रुलाया ही जाता था .

आप किसी दूसरी ओरिजनल फिल्म से भी डेब्यू कर सकती थीं, ऐसे में सैराट की रीमेक धड़क से कितनी उम्मीदें हैं?

मुझे पता है कि तुलना तो होगी ही। लोग इमोशनली इतने ज्यादा जुड़े हुए हैं सैराट से। लेकिन फिल्म रिलीज होने के बाद मुझे उम्मीद है कि लोगों को धड़क भी याद रहेगी। कुछ लोगों को सैराट पसंद है, तो कुछ को धड़क भी अच्छी लगेगी। लेकिन यह सब मैं कंट्रोल नहीं कर सकती। हमें जो करना था, वह हमने ईमानदारी से कर दिया है।