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धर्म के नाम पर वोट मांगने में मायावती पर लगे आरोपों की हो जांच

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती पर धर्म के नाम पर वोट मांगने के आरोपों से संबंधित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक कार्यवाही करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अभिराम सिंह मामले की सुनवाई करते हुए जाति और धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने आयोग से कहा है कि यदि उसके समक्ष इस प्रकार की शिकायतें लम्बित हैं तो वह देखे कि क्या शिकायतों में लगाए गए आरोप सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सम्बंधित हैं व आरोप के तथ्यों की जांच कानून के आलोक में करे।13_01_2017-gavel (1)

यह आदेश न्यायमूर्ति एपी शाही और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने नीरज शंकर सक्सेना की याचिका पर दिया। याची की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने दलील दी कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने धर्म के नाम वोट देने की अपील की जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल में अभिराम सिंह मामले में दिये गए निर्णय के विरुद्ध है। याचिका में मांग की गई कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम- 1951 की धारा- 29ए व 123 (3) के मद्देनजर जनता के बीच ऐसी अपील करने वाली राष्ट्रीय अध्यक्ष की पार्टी की मान्यता रद की जानी चाहिए। उन्होंने साक्ष्य के तौर पर एक सीडी प्रस्तुत करते हुए कहा कि चुनाव आयोग इस प्रकार के मामलों में कार्रवाई के लिए बाध्य है।

वहीं चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने दलील दी कि आयोग के समक्ष पहले से इस विषय पर प्रत्यावेदन विचाराधीन हैं जिस पर आयोग कानून के आलोक में निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि जहां तक शीर्ष अदालत के निर्णय का प्रश्न है, वह किसी प्रत्याशी के अयोग्य घोषित करने सम्बंधी निर्वाचन याचिका से सम्बंधित है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने आयोग को निर्देश दिए कि उसके समक्ष लम्बित इस प्रकार की शिकायतों पर आदेश देते समय वह देखे कि शिकायतों में दिये गए तथ्य अभिराम सिंह मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए निर्णय से सम्बंधित हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कार्यवाही के दौरान सम्बंधित पक्ष को भी नोटिस जारी किया जाए व तथ्यों को जांचा जाए। न्यायालय ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि चुनाव आयोग ऐसी शिकायतों पर शीघ्रता से निर्णय ले। हालांकि याची के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि वह और अधिक स्पष्ट आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

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