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GST लागू होने के बाद बाजार में चल रहा है कच्चे और पक्के बिल का खेल, जानें क्या है पूरा माजरा?

जीएसटी लागू होने के बाद जरूरी दस्तावेज जुटाने के लिए व्यापारी सीए के साथ माथापच्ची कर रहे हैं और व्यापार में लगातार घाटा उठा रहे हैं, क्योंकि बढ़े हुए टैक्स देने से बचने के लिए ग्राहक कच्चे में माल मांगता है और व्यापारी ऐसा करें तो छापे का डर रहता है. ऐसे में छोटे व्यापारी जो जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं हैं, वो इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं. इस संबंध में  टीम ने कश्मीरी गेट के ऑटो पार्ट्स में चल रहे कच्चे पक्के बिल के खेल की तफ्तीश की.

कश्मीरी गेट में एशिया की सबसे बड़ी ऑटोपार्ट्स बाजार में सन्नाटा पसरा है, क्योंकि अधिकतर ऑटोपार्ट्स पर 28% जीएसटी है, जिसके कारण व्यापार ठंडा है. लेकिन इस बाजार में दो तरह के व्यापारी है. एक व्यापारी जो जीएसटी के अंतर्गत रजिस्टर्ड हैं, जिन्हें हर माल 28% जीएसटी लगा कर ही बेचना है और दूसरे वो व्यापारी हैं, जो बिना बिल दिये धड़ल्ले से माल बिना जीएसटी लिए बेच रहे हैं. बाजार में इस तरह के खरीद फरोख्त से जीएसटी के अंतर्गत रजिस्टर्ड व्यापारियों का काम बिल्कुल मंदा पड़ गया है. एनडीटीवी की टीम ने ऑटपार्ट्स के इस बाजार में जाकर दोनों तरह के व्यापारियों से मुलाकात की. बाजार में हम जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी लोकेश से मिले और जाना कि वेगेनऑर के पांच पुर्जों हेडलाइट, टेल लाइट, साइड मिरर, बंपर और ग्रिल की कीमत जीएसटी लगने के बाद कितनी है.

लोकेश ने बताया कि वो जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यापारी हैं, इसलिए 28% टैक्स लगाकर माल बेंचते हैं. उन्होंने बताया कि हेडलाइट की कीमत जीएसटी लगाकर 830 रुपये, टेललाइट 320 रुपये, साइड मिरर 160 रुपये, बंपर 1088 रुपये, और ग्रिल 450 रुपये में बेचते हैं. लोकेश कहते हैं, “ग्राहक हमसे कहता है 28% टैक्स नहीं दे सकता कच्चे में कर लो बिल ना बनाओ. पर हम ऐसा कर नहीं सकते. क्या करें पर थोड़ी दूर कुछ व्यापारी बिना बिल के माल बेच रहे हैं, इसलिए ग्राहक वहीं जा रहे हैं.”

हमारी टीम जब लोकेश की दुकान से सिर्फ 400 मीटर दूर एक और व्यापारी के पास पहुंची, जो बिना बिल और बिना जीएसटी लगाए माल बेच रहा हैं. उस व्यापारी ने अपनी पहचान ना बताने की शर्त पर हमसे बात करने को तैयार हो गया. हमने उनसे बिना जीएसटी के वेगेनार के पांचों पुर्जों के रेट जाने तो हमारे होश उड़ गए.
बिना बिल दिए माल बेचने वाले व्यापारी ने हमें बताया, “वो हेडलाइट 700 रुपये, टेललाइट 280 रुपये, साइड मिरर 125रुपये, बंपर 900 रुपये और ग्रिल 450 रुपये में बेचते हैं.” उस व्यापारी ने बताया कि ग्राहकों से वो जीएसटी नहीं वसूलते और ग्राहक भी बिल नहीं मांगता, क्योंकि अगर हमने उसे बिल दिया तो उसे 28% टैक्स देना पड़ेगा तो ऐसे में हमारा भी काम हो जाता है और ग्राहक भी खुश हो जाता है. अगर हम भी टैक्स वसूलेंगे तो ग्राहक माल ही नहीं लेंगे.

बिना जीएसटी के इन समानों की कीमतों में काफी अंतर है.

जीएसटी के साथ              जीएसटी के बिना          अंतर
हेडलाइट- 830 रुपये             700 रुपये                   130 रुपये
टेललाइट- 280 रुपये               40 रुपये
साइड मिरर- 160 रुपये         125 रुपये                     35 रुपये
बंपर- 1088 रुपये                  900 रुपये                  188 रुपये
ग्रिल- 450 रुपये                   400 रुपये                     50 रुपये

हमने कुछ ग्राहकों से पूछा कि वो बिना बिल के सामान क्यों ले रहे हैं. जिसके जवाब में एक ग्राहक गिरीश कुमार ने बताया, “बाजार में दो तरह के रेट हैं. एक जो बिल के साथ 28% जीएसटी लेकर सामान बेच रहे हैं दूसरे बिना बिल के साथ बिना 28% जीएसटी लिए, तो जाहिर है हमें जहां फायदा मिलेगा हम वहीं से सामान लेंगे. हम क्यों टैक्स दे जब हमें दो दुकान छोड़ कर वहीं सामान 28% कम में मिल रहा है.”
पूरे खुलासे के बाद व्यापारी नेताओं का कहना है कि जीएसटी इतनी लगाई गई है कि ग्राहक बिना बिल माल खरीद रहा है सरकार या तो जीएसटी कम करे या फिर सारे व्यापारियों को जीएसटी के अंदर लाएं.