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मगरमच्छ की मौत के बाद साईन बोर्ड लगाकर वन विभाग ने थपथपाई अपनी पीठ

देव श्रीवास्तव/निघासन-खीरी।

बीते 2 माह में दो मगरमच्छों की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद आखिरकार वन विभाग की नींद टूट गई। महकमे ने रविवार को वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र के दो साइन बोर्ड लगाकर वाहन संभालकर चलाने के संकेत दिए हैं। साथ ही वन्य जीव अधिनियम के तहत होने वाली सजा को भी बोर्ड पर अंकित किया गया है।

निघासन तहसील क्षेत्र में 25 अगस्त को एक मगरमच्छ सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था। यह मगरमच्छ दुर्घटना स्थल गांव सुक्खन पुरवा के पास 24 अगस्त को देखा गया था और गांव के लोगों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी थी। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मौका मुआयना कर खाली हाथ वापस चली गई। जिसके बाद यह मगरमच्छ देर रात गांव से निकला और 25 अगस्त को सुबह ढखेरवा निघासन सड़क पार कर रहा था तभी किसी अज्ञात वाहन ने  उसे रौंद दिया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इसी तरह एक और मगरमच्छ 19 सिम्तबर को सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया। यह घटना स्थल भी पहली घटना स्थल के पास ही था। इन दोनों घटनाओं पर वन्यजीव प्रेमियों ने नाराजगी जाहिर की तो वहीं मीडिया ने भी इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया। तब जाकर वन विभाग की नींद टूटी। जिसके बाद रविवार को उत्तर खीरी/ बफर जोन,दुधवा टाइगर रिजर्व, वन प्रभाग ने क्षेत्र की ढखेरवा निघासन मार्ग स्थित इंद्रावती फिलिंग स्टेशन के पास एक बोर्ड व हंजरा फार्म के निकट एक साइन बोर्ड लगाकर वाहन चालकों को धीमी गति से वाहन चलाने और वन्यजीवों की सुरक्षा का संकेत दिया गया। इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी पलटू राम राणा ने बताया कि अभी तक निघासन रकेहटी रोड पर दो मगरमच्छो की रोड पार करते समय अज्ञात वाहन की टक्कर से दुर्घटना में मौत हुई है। इसलिए घटना स्थल के आस-पास ही तो सांकेतिक साइन बोर्ड वन विभाग ने लगाएं हैं।

क्या विभाग को है और मगरमच्छ की मौतों का इंतजार  ?

वन विभाग की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। दो साइन बोर्ड लगाने के बाद वन विभाग ने इस तरह से उसका प्रचार किया कि मानो उसने सड़क दुर्घटना में मगरमच्छ की होने वाली मौतों पर विराम लगा दिया हो, परंतु इसके विपरीत एक सच्चाई यह भी है कि इसी क्षेत्र में कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर मगरमच्छ बहुतायत की संख्या में पाए जाते हैं। वन विभाग ने उन जगहों पर किसी भी तरह का कोई साइन बोर्ड नहीं लगाया है। शायद वन विभाग उन स्थानों पर भी किसी मगरमच्छ की मौत का इंतजार है। जिसके बाद वहां पर वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर कदम उठाए जाएंगे|