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विकास और जनसँख्या नियंत्रण के लिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी युवाओं तक पहुंचना जरूरी

हर व्यक्ति का बुनियादी अधिकार है कि स्वतंत्र रूप से वह अपने हित में निर्णय ले कि उसको बच्चे चाहिए या नहीं, और यदि चाहिए तो कब और कितने – यही मौलिक अधिकार, 2020 के परिवार नियोजन (ऍफ़.पी. 2020) परिकल्पना और लक्ष्य में भी केन्द्रीय है. ऍफ़.पी. 2020, 12 करोड़ अधिक महिलाओं और किशोरियों को उनके इस मौलिक अधिकार को दिलवा कर, उनतक परिवार नियोजन जानकारी एवं सेवाएँ पहुचाने के लिए समर्पित है, जिससे कि अवांछित गर्भ, असुरक्षित गर्भपात, गर्भावस्था और प्रसव में होने वाली महिलाओं और किशोरियों की मृत्यु, तथा शिशु मृत्यु दर में गिरावट आये. यह बात फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के द्वारा परिवार नियोजन तथा प्रजजन एवं यौन स्वास्थ्य के परिपेक्ष में युथ डाइअलॉग कैंपेन के तहत यवाओं द्वारा उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब में आयोजित मीडिया मीट के परिचर्चा में आये युथ चैंपियनों के कही. 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – ४ यह दर्शाता है कि १५-२४ वर्ष उम्र की २२% विवाहित किशोर महिलाओं में परिवार नियोजन सम्बन्धी आवश्यकतायें अपूर्ण हैं। गौरतलब है कि ऐसे किसी भी राष्ट्रीय सर्वेक्षण उपलब्ध नहीं है जो यह दर्शाए कि अविवाहित किशोर जोड़ों की परिवार नियोजन सम्बन्धी आवश्यकतायें कितनी अपूर्ण हैं. 

अध्ययन-शोध ने हमें निरंतर बताया है कि यौनिक रूप से सक्रीय किशोर-किशोरियों (विवाहित अथवा अविवाहित) को अवांछित गर्भधारण से बचने, 2 प्रसूतियों के बीच में अन्तराल बढ़ाने एवं गर्भधारण में देरी करने के लिए जो आवश्यक गर्भनिरोधक सेवाएँ और उत्पाद हैं, उनको प्राप्त करने में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है. 

सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के सुलभ और सस्ती होने के बावजूद, अभी भी, युवा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रमुख रूप से निर्भर हैं, जिसके कारण, उन्हें अधिक स्वस्थ्य खर्च का बोझ झेलना पड़ता है, और परिवार नियोजन समेत अनेक रोग नियंत्रण में निवेश से बचते हैं या देरी करते हैं.

भारत सरकार भी परिवार नियोजन २०२० (ऍफ़.पी. 2020) के लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके तहत, परिवार नियोजन सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता को बनाये रखने के साथ -साथ, आधुनिक गर्भनिरोधक उत्पादों के उपयोग दर को 53.1% से बढ़ाकर 54.3% करना और 2020 तक, आधुनिक गर्भनिरोधक उत्पाद दर के उपयोग को ७४% करना है। भारत के लिए परिवार नियोजन 2020 का उद्देश्य न केवल ४.८ करोड़ अतिरिक्त लोगों तक परिवार नियोजन सम्बन्धी जानकारी और सेवा पहुँचाना है बल्कि २.३९ करोड़ अवांछित जन्म, १० लाख शिशु मृत्यु और 42000 से अधिक मातृ मृत्यु को २०२० तक रोकना भी है। 

“भारत सरकार ने परिवार नियोजन 2020 (ऍफ़.पी. 2020) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः जाहिर किया है और 2020 तक अमरीकी डॉलर ३ अरब  के निवेश का वादा किया है। प्रजनन, मातृ, नवजात शिशु, बाल और किशोर स्वास्थ्य के साथ-साथ परिवार नियोजन के कार्यक्रमों के क्रियान्यवन को भारत सरकार, राज्य तथा जिला स्तर पर लगातार जारी रखेगी”१।

11 जुलाई 2017, को इस घोषणा के साथ, भारत सरकार ने इंग्लैंड के लंदन शहर में परिवार नियोजन शिखर सम्मेलन में अपनी प्रतिबद्धता से अवगत कराया था। पांच साल पूर्व, ऐसे ही एक वैश्विक मंच पर, भारत सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए 2020 तक अमरीकी डॉलर २ अरब  खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

चुनौतियां

हमें, युवावों के प्रजनन स्वास्थ्य तथा परिवार नियोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं, विकल्पों और अपेक्षाओं का आंकलन करने की आवश्यकता है, जिसमें अविवाहित लोगों एवं 18 वर्ष से कम आयु के किशोरों व् किशोरियों की आवाज़ भी सम्मलित हो। अतः सरकार को उन कार्यक्रमों और नीतियों में निवेश करने की ज़रूरत है जो किशोरों-किशोरियों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने में सहयोग प्रदान करते हों, जैसे कि, कानूनी हकों, नीतियों और  दिशानिर्देशों को बनाना जो आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना, गर्भनिरोधक जानकारी, उत्पादों और सेवाओं के लिए किशोरों-किशोरियों के मानवाधिकारों का सम्मान और रक्षा करते हों, साथ ही लिंग जनित भेदभाव को मिटाते हों और किशोरों तक गर्भनिरोधक सूचनाओं और सेवाओं की पहुँच के प्रति समाज और उनके माता-पिता के बीच स्वीकृति को बढ़ाते हों।

भारत में जनसंख्या-गिरावट की धीमी दर के बावजूद, सरकार को परिवार नियोजन 2020 पर किये गए अपने वादे को पूरा करने के लिए, और युवाओं की बढ़ती आबादी की जरूरतों, वरीयताओं और अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए – व्यक्तिगत आवश्यकताओं, कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों, और एक सक्षम वातावरण बनाने में आने वाली बाधाओं की गहन समीक्षा करने की आवश्यकता है। अतः परिवार नियोजन की गंभीर समस्याओं को देखते हुए सरकार, गैर-सरकारी संस्थाओं, उद्योग वर्ग,तथा धन प्रदाताओं आदि सभी को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।  

एफपीए इंडिया की एक पहल का अवलोकन

भारत ने, परिवार नियोजन 2020 के अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। साथ ही, परिवार नियोजन की सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और परिवार नियोजन के विकल्पों में विस्तार के साथ-साथ दुर्भर परिस्थिति में रहने वाले लोगों तक इन सेवाओं की पहुँच बढ़ाने में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, परन्तु, अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वर्ष 2020 अब सिर्फ छह महीने दूर है। अतः यह परिवार नियोजन 2020 के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किए गये प्रयासों की समीक्षा का उपयुक्त समय है। 

भारत की युवा पीढ़ी के संदर्भ में, यह आवश्यक है कि युवाओं को परिवार नियोजन 2020 एजेंडा का नेतृत्व करना चाहिए। परिवार नियोजन की उपलब्धियों और ज़रूरतों पर युवाओं की समझ और उनके विचार 2020 के लक्ष्यों को हासिल करने में बहुत ही मूल्यवान साबित होगें। इस परिप्रेक्ष्य में एफपीए इंडिया, पूरे देश में अपने नीति-साझेदारों के साथ मिलकर, युवा स्वयंसेवकों के माध्यम से जमीनी स्तर पर युवाओं के साथ बातचीत कर, उनके विचार और दृष्टिकोण को सरकार तथा अन्य हितधारकों तक पहुँचाने का प्रयास कर रहा है।

इस पहल का प्रमुख उद्देश्य, मुद्दों का आंकलन कर विचारों को प्रस्तुत करने के साथ-साथ, युवाओं और प्रमुख हितधारकों के साथ परिवार नियोजन के विभिन्न पहलुओं पर गहन संवाद स्थापित करना है। क्योंकि हमारा मानना है कि युवाओं को न केवल लाभार्थियों के रूप में बल्कि हितधारकों के रूप में शामिल करने से न केवल परिवार नियोजन 2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी बल्कि परिवार नियोजन 2020 एजेंडे के बाद भी एक सर्व-समावेशी एजेंडा बनाने में मदद मिलेगी।