Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

ये हैं साल 2018 के ऐसे विवाद, जिन्होंने बैंकिंंग सेक्टर में मचाई उथल-पुथल

नई दिल्ली। साल 2018 देश के बैंकिंग सेक्टर के लिए काफी उथल-पुथल और विवादों भर रहा। एक ओर जहां धोखाधड़ी करने वाले या भगुतान में चूक करने वाले कर्जदार देश छोड़कर फरार हो गए। वहीं दूसरी तरफ तमाम कोशिशों के बावजूद बैंको का एनपीए बढ़ता गया। कई बैंकों के शीर्ष अधिकारियों ने आंतरिक कलह और दबाव के चलते अपना इस्तीफा दे दिया। यहां तक की साल के अंत में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) भी पहली बार विवादों में फंसा और केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने भी इस्तीफा दे दिया।

खराब कर्ज से दबे 12 सरकारी बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत लाना भी बैंकिंग क्षेत्र की प्रगति में बाधक रहा। कुछ इसी तरह के पांच प्रमुख विवाद ऐसे रहे, जिन्होंने बैंक जगत में काफी उथल-पुथल मचाया। आइए जानते हैं इनके बारे में…

मनी लॉन्ड्रिंग और एनपीए

साल की शुरुआत देश के सबसे बड़े बैंकिंग फर्जीवाड़े के साथ हुई, जब हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके पंजाब नेशनल बैंक के साथ 14,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी की। इससे बैंकों का एनपीए और बढ़कर मार्च में 8 लाख 95 हजार करोड़ से ज्यादा पहुंच गया। हालांकि सरकार ने इस फर्जीवाड़े के बाद एनपीए पर सख्त रुख अख़्तियार किया और कर्ज वसूली के लिए कई अभियान चलाकर वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर में एनपीए के 23 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली की।

चंदा कोचर विवाद

नीरव मोदी के मामले में परतें खुल ही रही थी कि मार्च में एक व्हिसल ब्लोवर ने आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक रहीं चंदा कोचर के खिलाफ शिकायत की। कोचर पर वीडियोकॉन समूह को दिए गए कर्ज में एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने तथा हितों के टकराव के आरोप हैं। अक्टूबर में चंदा कोचर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, इस मामले में आंतरिक और नियामकीय जांच अभी चल रही है।

बैंकों का विलय और विनिवेश

कई बड़े विवादों के बाद सरकार ने इस साल बैंकिंग क्षेत्र को मजबूती देने के लिए तीन बैंकों देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय का फैसला किया, जिसे वित्त मंत्रालय की सैद्घांतिक मंजूरी भी मिल गई है। इस विलय से तैयार होने वाला नया बैंक एसबीआई और आईसीआईसीआई के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा, जिसका कुल पूंजीकरण 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगा।

कई दिग्गजों की हुई विदाई

आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक चंदा कोचर को वीडियोकॉन फर्जीवाड़ा मामले में कथित आरोपों पर पद छोड़ना पड़ा, तो वहीं इसी साल एक और शीर्ष बैंक अधिकारी शिखा शर्मा को आरबीआई से झटका मिला। दरअसल, केंद्रीय बैंक ने एक्सिस बैंक की प्रबंध निदेशक पद शिखा और यस बैंक के सीईओ राणा कपूर का कार्यकाल विस्तार को बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद इन दिग्गजों को भी पद से हटना पड़ा।

वहीं साल अंत में बैंक जगत को सबसे बड़ा झटका खुद आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा लेने के रुप में दिया। उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुये 10 दिसंबर को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था।