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चुनाव आयोग का दावा, नहीं हो सकती EVM से छेड़छाड़

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने से भी ज्यादा का बहुमत पाने के बाद राजनीतिक दलों में EVM को लेकर उसके ख़राब और हैक होने जैसी बातें खूब हो रहीं है|मायावती द्वारा उठाये गए मुद्दे को सभी राजनीतिक पार्टियाँ भुनाने में लगीं है लेकिन चुनाव आयोग ने सभी बातों को दरकिनार करते हुए साफ़ कर दिया है कि EVM पर सवाल उठा रहे हैं तो उसे सिद्ध भी करें और दिल्ली में होने वाले MCD चुनाव को EVM से कराने का एलान कर दिया है|
इन सबक अटकलों के बीच आपको EVM से जुड़ी कुछ जानकारी हम दे रहे हैं|
evm-machine
  • ईवीएम में इंटरनेट का कोई कनेक्शन नहीं होता है, इसलिए इसे ऑनलाइन होकर हैक नहीं किया जा सकता।
  • किस बूथ पर कौन सा ईवीएम जायेगा, इसके लिए रैंडमाइजेसन की प्रक्रिया होती है, अर्थात् सभी ईवीएम को पहले लोकसभा वार फिर विधानसभा वार और सबसे अंत में बूथवार निर्धारित किया जाता है और पोलिंग पार्टी को एक दिन पहले डिस्पैचिंग के समय ही पता चल पाता है कि उसके पास किस सीरिज का ईवीएम आया है। ऐसे में अंतिम समय तक पोलिंग पार्टी को पता नहीं रहता कि उनके हाथ में कौन सा ईवीएम आने वाला है।
  • बेसिक तौर पर ईवीएम में दो मशीन होती है, ‘बैलट यूनीट’ और ‘कंट्रोल यूनीट’ वर्तमान में इसमें एक तीसरी ‘यूनिट वीवीपीएटी’ भी जोड़ दिया गया है, जो सात सेकंड के लिए मतदाता को एक पर्ची दिखाता है जिसमें ये उल्लेखित रहता है कि मतदाता ने अपना वोट किस अभ्यर्थी को दिया है। ऐसे में अभ्यर्थी बूथ पर ही आश्वस्त हो सकता है कि उसका वोट सही पड़ा है कि नहीं।
  • वोटिंग के पहले सभी ईवीएम की गोपनीय जांच की जाती है और सभी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही ईवीएम को वोटिंग हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
  • सबसे बड़ी बात वोटिंग के दिन सुबह मतदान शुरु करने से पहले मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी द्वारा सभी उम्मीदवारों के मतदान केन्द्र प्रभारी या पोलिंग एंजेट के सामने मतदान शुरु करने से पहले मॉक पोलिंग की जाती है और सभी पोलिंग एंजेट से मशीन में वोट डालने को कहा जाता है ताकि ये जांचा जा सके कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट गिर रहा है कि नहीं। ऐसे में यदि किसी मशीन में टेंपरिंग या तकनीकि गड़बड़ी होगी तो मतदान के शुरु होने के पहले ही पकड़ ली जायेगी।
  • EVM+VVPAT मशीन

    EVM और VVPAT मशीन

  • मॉक पोल के बाद सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एंजेट मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी के प्रभारी को सही मॉक पोल का सर्टिफिकेट देते है।  इस सर्टिफिकेट के मिलने के बाद ही संबंधित मतदान केन्द्र में वोटिंग शुरु की जाती है। ऐसे में जो उम्मीदवार ईवीएम में टैंपरिंग की बात कर रहे  है वे अपने पोलिंग एंजेट से इस बारे में बात कर आश्वस्त हो सकते है|
  • मतदान शुरु होने के बाद मतदान केन्द्र में मशीन के पास मतदाताओं के अलावा मतदान कर्मियों के जाने की मनाही होती है, वे ईवीएम के पास तभी जा सकते है जब मशीन की बैट्री डाउन या कोई अन्य तकनीकि समस्या होने पर मतदाता द्वारा सूचित किया जाता है।
  • हर मतदान केन्द्र में एक रजिस्टर बनाया जाता है, इस रजिस्टर में मतदान करने वाले मतदाताओं की डिटेल अंकित रहती है और रजिस्टर में जितने मतदाता की डिटेल अंकित होती है, उतने ही मतदाताओं की संख्या ईवीएम में भी होती है।
  • काउंटिंग वाले दिन इनका आपस मे मिलान मतदान केंद्र प्रभारी (presiding officer) की रिपोर्ट के आधार पर होता है|

अब तक सुप्रीम कोर्ट में सिद्ध नहीं हो पायी है ईवीएम टैंपरिंग

सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम टैंपरिंग से संबंधित जितने भी मामले पहले आये उनमें से किसी भी मामले में ईवीएम में टैंपरिंग सिद्व नहीं हो पायी है। स्वयं चुनाव आयोग आम लोगों को आंमत्रित करता है कि वे लोग आयोग जाकर ईवीएम की तकनीक को गलत सिद्व करने हेतु अपने दावे प्रस्तुत करे। लेकिन आज तक कोई भी दावा सही सिद्व नहीं हुआ है।

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