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ऐसे कान होते हैं बीमार दिल की पहचान

हेल्थ डेस्क|
हमारे देश में जहां हर साल करीब 1.7 मिलियन लोग हर साल हार्ट डिजीज से मर रहे हैं, वहां एक डॉक्टर ऐसे भी हैं जो कार्डिएक प्रॉब्लम का पता लगाने के लिए एक पुरानी कला को फिर से जीवित करना चाहते हैं। इसमें मरीज को कई सारे टेस्ट्स से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा बल्कि मरीज को देखकर ही पता चल जाएगा। मुंबई से 160 किमी दूर प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर हिम्मतराव बावास्कर का कहना है कि डायागनल इयरलोब क्रीज (कान के निचले लोब पर तिरछी लकीर या सिकुड़न) बीमार दिल की बहुत बड़ी पहचान है। 

उन्होंने 888 ऐसी मरीजों को स्टडी किया जो कि भारतीयों में कॉमन बीमारी जैसे डायबीटीज और हायपरटेंशन जैसी समस्याएं लेकर आए थे। उन्होंने देखा कि 95 फीसदी इयर क्रीज वाले लोगों में इस्कीमिक हार्ट डिजीज पायी गई। उन्होंने बताया कि 888 लोगों में से 508 लोगों में इयर क्रीज थी। 

डॉक्टर हिम्मतराव ने सांप और बिच्छुओं के काटने पर काम किया है और उन्हें इस पर इंटरनैशनल लेवल पर पहचान मिली है। उनका कहना है कि जहां संसाधनों की कमी हैवहां डॉक्टर्स को कान से पहचान कर लेनी चाहिए। वह बताते हैं, ‘भारत में सीने के दर्द में शिकायत के मरीज सबसे पहले फैमिली फिजीशन के पास जाते हैं। कभी-कभी इस्कीमिक हार्ट डिजीज में पहली बार में ही अचानक से मौत हो जाती है।

बता दें कि इयर-क्रीज थिअरी पहली बार 1970 में दी गई थी। इयर क्रीज ज्यादातर 60 साल से ऊपर के लोगों में दिखाई देती है। सीटी स्कैन, ऐंजियोग्राफी और एंजाइम टेस्ट जैसी सुविधाएं नहीं थीं तब अमेरिकन डॉक्टर सैंडर्स टी फ्रैंक ने कान और दिल के बीच लिंक ढूंढ़ा था। 

बाइकुला के जेजे ग्रांट मेडिकल कॉलेज के प्रफेसर रहे डॉक्टर अल्ताफ का कहना है कि इयरलोब और दिल का कनेक्शन कॉमन सेंस वाली बात है। जैसे-जैसे लोग बड़े होते हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ता है, फैट टिश्यू मुड़कर क्रीज बना लेते हैं। वह बताते हैं कि इयर क्रीज वाले ज्यादातर लोग 50 या 60 की उम्र पर होते हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों को हाई ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी होती है। 
साभार:NBT