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डूबने की कगार पर EPF और पेंशन खाते में जमा पैसा, लगेगा 20 हजार करोड़ का झटका

नौकरी के पैसों से गुजर-बसर करने वाले और प्रोविडेंट फंड को ही अपनी बचत मानकर चलने वाले देश के लाखों मध्य वर्गीय वेतनभोगियों के प्रविडेंट और पेंशन फंड्स पर खतरे के बाद मंडराते नजर आ रहे हैं।

दरअसल, प्रविडेंट और पेंशन फंड्स की रकम में से सरकार ने 15 से 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज आईएलऐंडएफएस (IL&FS) और इसकी ग्रुप कंपनियों को दिया है, लेकिन अब सरकार का ये पैंतरा उलटा पड़ता नजर आ रहा है। जी हां, विशेषज्ञों की मानें तो IL&FS को कर्ज देने वालों को 11,300 करोड़ से लेकर 28,500 करोड़ रुपये तक का चूना लग सकता है। रेग्युलेटरी फाइलिंग से पता चलता है कि IL&FS पर 91 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। इसका 61% बैंक लोन जबकि 33% डिबेंचरों और कमर्शल पेपरों के जरिए लिए गए कर्ज हैं।

IL&FS और इसकी ग्रुप कंपनियों के इन फंड्स में 15 से 20 हजार करोड़ रुपए लगे हैं। इन फंडों की बिल्कुल अपारदर्शी प्रवृत्ति के कारण फंसी रकम का सही-सही आकलन तो नहीं किया जा सका है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका आंकड़ा 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह रकम IL&FS को मिले बैंकों, म्यूचुअल फंडों एवं अन्य वेल्थ मैनेजमेंट स्कीमों से प्राप्त कर्जों से अलग है। निजी प्रबंधन वाले प्रविडंट और पेंशन फंडों के लिए इस एक बड़ा जोखिम माना जा रहा है, क्योंकि इन्हें एंप्लॉयी प्रविडंट फंड ऑर्गनाइजेशन की शर्तों के तहत इन्हें किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई करनी होगी। दरअसल, EPFO ऐसी ही शर्तों के आधार पर किसी को निजी तौर पर रिटायरमेंट के मैनेजमेंट की अनुमति देता है।

सीनियर वाइस-प्रेजिडेंट अमित गोपाल ने बताया, ‘बैंकों के उलट प्रविडंट फंडों को निवेश पर नुकसान की जानकारी हर तिमाही में देनी पड़ती है।’ उन्होंने कहा, ‘कई बड़ी कंपनियों ने अपना घाटा बातना शुरू कर दिया है जबकि कई अन्य कंपनियां इस मामले में थोड़ी और स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं।’

गौरतलब है कि IL&FS में सबसे ज्यादा पैसा यस बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, इंडसइंड बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का फंसा है। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उसमें किस प्रविडंट फंड और पेंशन फंड की कितनी रकम फंसी है। IL&FS ने भी इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, IL&FS ग्रुप का 40% कुल बॉन्ड्स प्रविडंट फंड्स के पास होने का अनुमान है। बता दें कि IL&FS में पैसा लगाने वाले अधिकतर फंड्स ने इसकी AAA रेटिंग की वजह से इसके बॉन्ड्स खरीदने या लोन देने का फैसला किया था। ट्रिपल A रेटिंग वाली कंपनियों में निवेश सुरक्षित माना जाता है और अच्छे-खासे रिटर्न की भी उम्मीद रहती है।