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आज है संजय दत्त के पिता का जन्मदिन, ‘मदर इंडिया’ फिल्म से चमकी थी किस्मत

चार दशक तक फैंस के दिलों पर राज करने वाले बॉलीवुड एक्टर सुनील दत्त का आज जन्मदिन है. सुनील दत्त की आज 90वीं बर्थ एनीवर्सरी है. उनकी एक फ़िल्म ‘जानी दुश्मन’ में उनका एक प्रसिद्ध संवाद है- ‘मर्द तैयारी नहीं करते…हमेशा तैयार रहते हैं.’ उनका यह संवाद उन पर पूरी तरह से फिट बैठता है. एक बस कंडक्टर से एक्टर और राजनेता तक का सफ़र तय करने वाले सुनील दत्त की जीवन यात्रा एक मिसाल है.

शुरुआती करियर

झेलम जिले के खुर्द गांव में छह जून 1929 को जन्में बलराज रघुनाथ दत्त उर्फ सुनील दत्त बचपन से ही अभिनेता बनने की ख्वाहिश रखते थे. सुनील दत्त को अपने करियर के शुरूआती दौर में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. अपने जीवन यापन के लिये उन्हें बस डिपो में चेकिंग क्लर्क के रूप में काम किया जहां उन्हें 120 रूपयें महीना मिला करता था. इस बीच उन्होने रेडियो सिलोन में भी काम किया जहां वह फिल्मी कलाकारो का साक्षात्कार लिया करते थे. प्रत्येक साक्षात्कार के लिए उन्हें 25 रूपए मिलते थे.

रेलवे प्लेटफार्म से की करियर की शुरुआत

सुनील दत्त ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म रेलवे प्लेटफार्म से की. वर्ष 1955 से 1957 तक वह फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे. ‘रेलवे प्लेटफार्म’ फिल्म के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गये. उस दौरान उन्होंने कुंदन, राजधानी, किस्मत का खेल और पायल जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुयी.

शूटिंग के दौरान नरगिस को आग से बचाया

मदर इंडिया ने सुनील दत्त के सिने कैरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन मे भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. इस फिल्म में उन्होनें नरगिस के पुत्र का किरदार निभाया था. फिल्म की शूटिंग के दौरान नरगिस आग से घिर गयी थीं और उनका जीवन संकट मे पड़ गया था. उस समय वह अपनी जान की परवाह किये बिना आग मे कूद गये और नर्गिस को लपटो से बचा ले आये. इस हादसे मे सुनील दत्त काफी जल गये थे तथा नरगिस पर भी आग की लपटो का असर पड़ा. उन्हें इलाज के लिये अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनके स्वस्थ होकर बाहर निकलने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया.

संजय दत्त की थी जूतों से पिटाई 

जब उनके बेटे संजय दत्त को ड्रग्स की लत लगी तो उन्होंने संजय की इस नशे की लत को छुड़ाने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया था. वे संजय को इलाज के लिए अमेरिका में एक नशा उन्मूलन केंद्र ले गए. जहां लंबे इलाज के बाद संजय दत्त ने ड्रग्स को अलविदा कहा.एक इंटरव्यू में संजय दत्त ने बताया था कि जब उन्होंने पहली बार छिपकर बाथरूम में सिगरेट पी थी तब अचानक से पिता सुनील दत्त आ गए. सिगरेट पीता देख वो बेहद नाराज हुए थे और जूतों से उनकी पिटाई लगाई थी.

अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया

सुनील दत्त को अपने सिने कैरियर में दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इनमें मुझे जीने दो 1963 और खानदान 1965 शामिल है. वर्ष 2005 में उन्हें फाल्के रत्न अवार्ड प्रदान किया गया. सुनील दत्त ने लगभग 100 फिल्मों में अभिनय किया.

अपनी निर्मित फिल्मों और अभिनय से दर्शको के बीच खास पहचान बनाने वाले सुनील दत्त 25 मई 2005 को इस दुनिया को अलविदा कह गये.