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आज उस शख्स का जन्मदिन है, जिसने भारत के बापू को मारी थी गोली

आज उस इंसान का जन्मदिन है जिसने भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली मारी थी. जिसे बापू के हत्यारे के तौर पर जानते हैं. चरमपंथी रूढ़िवादी हिन्दू राष्ट्रवादी समर्थक नाथूराम गोडसे का आज 108वां जन्मदिन है. गोडसे को महात्मा गांधी के हत्यारे के रूप में भी जाना जाता है. गोडसे हिंदू धर्म में मौजूद बुराइयों जैसे जाति के आधार पर भेदभाव और छुआछूत आदि के बड़े विरोधी थे.

व्यक्तिगत जीवन

नाथूराम गोडसे का जन्म आज ही के दिन साल 1910 को पुणे में हुआ था. 16 साल की उम्र में गोडसे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए थे. लेकिन बाद में गांधी के प्रबल विरोधी बन गए. 1947 में भारत के बंटवारे के दौरान उन्हें बड़ा झटका लगा. जिसके चलते 30 जनवरी 1948 को उन्होंने गांधी पर गोली चला दी. इस हत्या के आरोप में 15 नवंबर 1949 को पंजाब के अंबाला जेल में फांसी की सजा दे दी गई.

पाकिस्तान के विभाजन 

नाथूराम एक हिंदूवादी कार्यकर्ता और पत्रकार था. वह हिंदूवादी ज़रूर था पर वह हिन्दू धर्म में मौजूद बुराइयों जैसे जाति के आधार पर भेदभाव और छुआछूत आदि का विरोधी था.यह बात उसने कोर्ट में दिए गए आखिरी बयान में बताया कि उसने आजादी के वक्त विभाजन के बाद आए हिंदू शरणार्थियों के साथ भी काम किया था. विभाजन के बाद पाकिस्तान ने 55 करोड़ रुपए मांगे थे. भारत सरकार ने पहले तो इसे देने से इंकार कर दिया लेकिन गांधीजी के दबाव में यह रुपए पाकिस्तान को दिए गए. इस बात को लेकर अन्य हिंदूवादियों की तरह गोडसे भी गांधई जी से नाराज था.

30जनवरी को बनाया था प्लान

गोडसे ने नारायण आप्टे और विष्णु रामकृष्ण करकरे के साथ पुणे में 30 जनवरी के अपने प्लान को पूरा करने के लिए योजना बनाई. इस योजना के तहत करकरे ने पहले ही दिल्ली पहुंचकर माहौल का जायजा लिया फिर 27 जनवरी को अब मुंबई से विमान आप्टे और गोडसे दिल्ली पहुंचे.गोडसे और आप्टे रेल से उसी दिन भोपाल निकल गए. वहां वह अपने एक मित्र से मिले जिसने उन्हें एक सेमी-ऑटोमैटिक पिस्तौल दिलाई. दोनों 29 तारीख को फिर दिल्ली पहुंच गए.

बिड़ला हाउस पिस्तौल लेकर पहुंचे

दिल्ली लौटने के बाद गोडसे और आप्टे दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित मरीना होटल में ठहरे. उन्होंने होटल में अपना नाम एम देशपांडे और एस देशपांडे लिखा था जबकि करकरे अपने एक और साथी के साथ चांदनी चौक के एक होटल में ठहरे थे.30 जनवरी को दोपहर करीब 3 बजे गोडसे, आप्टे और करकरे बिड़ला हाउस के लिए निकले. गोडसे जब बिड़ला हाउस पहुंचा तो वहां कुछ खास तलाशी नहीं हो रही थी, जिस कारण वह आराम से पिस्तौल लेकर अंदर घुस गया.

तीन गोलियां दाग दी

गोडसे पहले तो गांधी जी के रास्ते में था फिर जब गांधी जी ने उसे रास्ता देने के लिए कहा तो कोई कुछ समझ पाता गोडसे ने आभा को धक्का देकर पीछे किया और सामने से गांधी जी के सीने पर तीन गोलियां दाग दीं.गोडसे भागने की बजाए अपना हाथ ऊपर कर पुलिस को बुलाने लगा. जब भीड़ में मौजूद पुलिस उसे दिखी तो उसने उन्हें आवाज दी और अपनी पिस्तौल पुलिस को सौंप दी. शाम 5:45 पर आकाशवाणी ने गांधी के निधन की सूचना देश को दी.