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9 साल बाद IRDAI ने जारी किए लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स से जुड़े नए नियम

9 साल के लंबे इंतजार के बाद इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDA ने लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स से जुड़े नए नियम जारी किए हैं. नए नियम नॉन लिंक्ड और ULIP प्रोडक्ट्स के लिए होंगे और पॉलिसी होल्डर्स के लिए काफी फायदेमंद होंगे. पॉलिसी होल्डर के हक में सबसे बड़ा कदम है कि नॉन-लिंक्ड पॉलिसी को रिवाइवल कराने की समय सीमा को 2 साल से बढ़ाकर अब 5 साल कर दिया गया है और ULIP प्रोडक्ट्स के लिए रिवाइवल पीरियड 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है. नॉन लिंक्ड पॉलिसी में यदि ग्राहक दो साल के बाद पॉलिसी सरेंडर करता है, तो उसे एक निश्चित 30% तक राशि मिलेगी और 4 से 7 वें साल में सरेंडर करने पर 50% तक राशि मिलेगी.

नए नियमों के अनुसार, नॉन-लिंक्ड पॉलिसियों में मिनिमम डेथ बेनिफिट को सालाना प्रीमियम के 10 गुना से घटाकर 7 गुना कर दिया गया है लेकिन इनकम टैक्स के सेक्शन 80C में छूट के लिए सालाना लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का सिंगल प्रीमियम का 10 गुना होना जरूरी है, जिससे अब कंपनियों के बिना इनकम टैक्स छूट वाले प्रोडक्ट्स भी ग्राहकों को ऑफर कर पाएगी.

इंडिया फ़र्स्ट लाइफ इंश्योरेंस की एमडी आरएम विशाखा के मुताबिक नियमों में बदलाव पॉलिसी होल्डर के हक में है और नॉन लिंक्ड प्रोडक्ट में रिवाइवल पीरियड के 2 साल से 5 साल होने से ग्राहकों को पॉलिसी बंद नहीं करनी पड़ेगी और इंश्योरेंस के पेंशन प्रोडक्ट्स भी अब NPS के बराबर होंगे.

नए नियमों में पेंशन प्रोडक्ट्स से आंशिक 25% निकासी की इजाजत की मंजूरी दी गई है और ये निकासी गंभीर बीमारी, बच्चे की शादी और पढ़ाई के लिए के वक्त ही मुमकिन होगी. अभी यूलिप पॉलिसी में राइडर लेने पर यूनिट घटाने का विकल्प कंपनियों के पास होता था लेकिन अब कंपनिया अतिरिक्त प्रीमियम के साथ क्रिटिकल इलनेस जैसे कई राइडर पॉलिसी होल्डर को दे पाएगी.