लखीमपुर खीरी(देव श्रीवास्तव): इस नोटबंदी के चलते किसी को भले ही नुकसान हुआ हो लेकिन इस नोटबंदी का लाभ और फर्जीवाड़ा बैंक कर्मचारियों ने खूब किया। जिसका समय समय पर खुलासा भी होता रहा है। लेकिन यहाँ तो फर्जीवाड़े की तब हद हो गई जब एक उपभोक्ता के जमींन पर बिना उसकी जानकारी के करीब 15 लाख का लोन हो गया। जब उपभोक्ता को इसकी जानकारी हुई तो उपभोक्ता ने इसकी शिकायत बैंक के उच्चधिकारियों सहित प्रशासन से भी इसकी शिकायत की। जिस पर तहसील प्रशासन ने कार्यवाही की बात कही थी। लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही ही हुई।
क्या है पूरा मामला:
आपको बताते दें कि बीती 20 नवम्बर को औरंगाबाद परगना के नदौआ निवासी पांच किसानों के खाते से अलग अलग हिस्सो में लगभग 14 लाख 74 हज़ार रुपये का 28 अगस्त 2016 को फर्जी तरीके से किये गए लोन का उस समय खुलासा हुआ। जब कम्प्यूटराइज खतौनी निकलवाने गये किसानो ने देखा तो उन किसानों की जमीन भारतीय स्टेट बैंक मितौली के नाम बंधक दर्ज थी| यह देखकर किसान के पैरों तले जमीन ही सिखक गई। जब यह खबर क्षेत्र में आग की तरह फैली तो शाखा प्रबंधक उन किसानों को प्रधान की मदद से समझाने का प्रयास करने लगा और जैसे तैसे ब्रांच मैनेजर ने किसानों व अधिकारियो को मैनेज कर लिया और दूसरे दिन उन किसानों के खाते में पैसे भी जमा करा दिए। और जिस दिन उन किसानों के खाते में पैसा जमा हुआ उसके चन्द घण्टो बाद उनकी खतौनी पर उन किसानों की जमीनों को बंधक मुक्त कर दिया गया| ये अपने आप में एक सवाल बना गया कि कही न कही बैंक मैनेजर के साथ साथ क्या तहसील के कर्मचारी भी मिले थे। यह फर्जीवाड़ा अब दबता दिखाई दे रहा है। जब इस फर्जीवाड़े के खुलासे के एक माह बीत जाने के बाद भी बैंक मैनेजर पर कोई कार्यवाही नही की गई। वही एस डी एम मितौली ने कार्यवाही करने की बात भी कही लेकिन समय बीतता गया और मामले को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया।