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सम्मान समारोह में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार को न बुलाना अपमानजनक

लखनऊ|

प्रताप चन्द्रा ने कहा- सम्मान समारोह में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार को न बुलाना अपमानजनक है
सरकार का सुभाष चंद्र बोस को अबतक युद्ध अपराधी मानना त्वरित राष्ट्रवाद का नमूना
क्या यही वो स्वराज है जो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार था.

बीते शुक्रवार को लोकभवन में प्रदेश सरकार द्वारा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी के स्वराज घोष की 101 वीं पर लखनऊ में हुए सम्मान समारोह में 1857 से अबतक के आज़ादी के नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को बुलाना स्वागत योग्य है परन्तु अवसर पर तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” का नारा देकर अंग्रेजों के दांत खट्टे करनें वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परिजनों को न बुलाना न सिर्फ अपमानजनक है बल्कि ये प्रमाणित करता है कि सरकार आज भी नेताजी को युद्ध अपराधी ही मानती है इसीलिए उनके परिजनों को सरकारी समारोह से दूर रखा गया |

प्रताप चंद्रा

”सजग नागरिक प्रताप चन्द्रा ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी के स्वराज घोष की 101 वीं सम्मान समारोह नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परिजनों को न बुलाने पर आपत्ति दर्ज कराई।”

 

पीएम मोदी से जगी थीं उम्मीदें…

  • लोकसभा के चुनाव के समय वर्त्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेताजी के साथी कर्नल निजामुद्दीन के चरणों में आशीर्वाद लेने से लगा कि अब सरकार नेताजी समेत आज़ाद हिन्द फौज के सिपाहियों को युद्ध अपराधी के धब्बे से मुक्त कर उन्हें आज़ादी का सिपाही मानेगी परन्तु आज लखनऊ के कार्यक्रम में नेताजी की अनदेखी नें तय किया कि ये मात्र “त्वरित राष्ट्रवाद” है |
  • निश्चित ही देश को आज़ाद कराने के लिए किसी नें गोलियां खाई और किसी नें चलाई पर आज़ादी में योगदान तो सभी का था ऐसे में भेदभाव करना वो भी सभी नागरिकों के दिल में रहनें वाले  नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ ठीक नहीं है |
  • सरकार से अपेक्षा है कि आगामी माह की 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन पर उन्हें युद्ध अपराधी के धब्बे से मुक्त कर धूमधाम से जयंती मनाई जाये |