फतेहाबाद: निजी बस परमिट के विरोध में हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल आज तीसरे दिन भी जारी है, जिसका असर आम जनजीवन पर दिखने लगा है। आमजन के साथ-साथ दैनिक यात्री, व्यापारी और खासकर विद्यार्थी वर्ग इस हड़ताल के कारण बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। वहीं हड़ताली कर्मियों से निपटने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कार्रवाई करते हुए फतेहाबाद डिपो के 5 हड़ताली कर्मचारियों को सस्पैंड कर दिया है, जिनमें यूनियन के प्रधान सूरजभान चोपड़ा सहित अन्य पदाधिकारी शामिल हैं। सरकार के इस कार्रवई के बाद रोडवेज कर्मियों में खासा रोष देखा जा रहा है।
रोहतक:सरकार की कार्रवाई के दौरान रोहतक डिपो के भी 5 हड़ताली कर्मचारियों को सस्पैंड कर दिया गया है। जीएम रोडवेज डिपो राहुल जैन ने सुमेश कुमार, सूरजभान, राजबीर, राममेहर और हिम्मत राणा को सस्पैंड किया हैं।
हालांकि अन्य प्रदेशों की बस सेवा के साथ-साथ निजी बस आप्रेटरों की बसें अभी चल रही हैं जिस कारण कुछ राहत तो है, मगर रोडवेज का चक्का जाम होने के कारण विद्यार्थी और नौकरीपेशा लोगों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। बतां दे कि निजीकरण और रोडवेज पॉलिसी के विरोध में रोडवेज कर्मचारी बीते दो दिनों से हड़ताल पर हैं और रोडवेज बसों का चक्का जाम कर रखा है। इस दौरान कल यूनियन तालमेल कमेटी और सरकार के बीच वार्ता हुई। मगर वार्ता सिरे न नहीं चढ़ सकी। कर्मचारियों का साफ कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती तह तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे।
रोड़वेज कर्मचारी यूनियनों के नेता नरेन्द्र दिनोद, ईश्वर शर्मा एवं औमप्रकाश ग्रेवाल का कहना था कि सरकार एवं परिवहन विभाग अडिय़ल रवैया अपनाए हुए है। उनका कहना था कि 1993 में निजी रूटों पर परमिट दिए गए थे। उसके बाद बसों को मनमाने तरीके से दूसरे रूटों पर चलाया जाने लगा। इसी वजह से इन रूट परमिटों का विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब रोड़वेज की बसें लोगों को बेहतर सुविधाएं दे रही हें तो निजी परमिट दिए जाने का तुक क्या है व सरकार हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला दे रही है जबकि सरकार चाहे तो मामले को पेंडिंग कर सकती है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि ये बसें तक चलने नहीं दी जाएंगी जब तक परमिट जारी करने का फैसला सरकार रद्द नहीं करती।