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कर्ज और जिम्मेदारियों के बीच में दबे प्रभुजात ने जहर खाकर दी जान

मैगलगंज-खीरी: थाना मैगलगंज के ग्राम नयागांव निवासी प्रभुजोत पुत्र मंजीत सिंह ने बीती 26 मार्च को बैंकों व शाहूकारों के कर्ज व बहन की फीस न अदा कर पाने के कारण कीटनाशक दवा पी ली थी। तबियत बिगडऩे पर परिजन इलाज के लिए लखनऊ ले गये। जहां शनिवार की देर रात लखनऊ के ट्रामा सेंटर में उसकी मौत हो गयी।

जमीन पर लिया था कर्ज:

थाना मैगलगंज के ग्राम नयागांव निवासी मंजीत सिंह की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। लेकिन अपने परिवार को पालने व होनहार बेटी रंजीत कौर को डाक्टर बनाने के लिए जैसे-तैसे अपनी जमीन पर कर्ज लिया। बेटी रंजीत कौर का दाखिला खुर्जा बुलंदशहर में बीएएमएस में दाखिला करवा दिया। घर के खर्च व बेटी की फीस की चिंता के लिए व अपनी होनहार बेटी को डाक्टर बनाने के सपने लेकर मंजीत सिंह ने मैगलगंज कस्बे के कई शाहूकारों से भी धीरे धीरे लाखों रूपयों का कर्ज ले लिया। लेकिन इसके तुरंत बाद पिता मंजीत सिंह की वर्ष 2015 में हृदयगति रूकने से मौत हो गयी। परिवार को पालने व पोसने सहित बहन की जिम्मेदारी अकेले प्रभुजोत पर आ गयी। मेहनत मजदूरी के बाद भी प्रभुजोत पिता के द्वारा लिय गये कर्ज को चुकता नहीं कर सका। इधर बहन के प्रति वर्ष तीन लाख से ज्यादा पडऩे वाली फीस के दवाव के कारण धीरे-धीरे परिवार को चलाने के लिए मेहनत मजदूरी करता था। लेकिन बैकों के कर्ज की आये दिन मिल रही नोटिस से प्रभुजोत भी परेशान रहने लगा। लेकिन बहन रंजीत कौर के स्कूल से बराबर आ रही नोटिसों के कारण भाई प्रभुजोत व मां बलविंदर कौर दोनों परेशान रहने लगे। दूसरी ओर शाहूकारों का हर रोज घर पर आना व खरी-खोटी सुनना भी भाई व मां को चुभने लगा। घर का अकेला होने के कारण पूरे परिवार की जिम्मेदारी अकेले प्रभुजोत पर थी। फीस न जमा होने के कारण बहन रंजीत कौर भी अपने घर आ गयी। भाई व अपनी मां द्वारा फीस न जमा कर पाने की दशा में स्कूल प्रशासन के द्वारा उसे परीक्षा से वंचित कर दिया गया।

माँ और बहन से हुई थी बहस

26 मार्च को उसकी अपने मां और बहन से जमकर बहस हुई। तंग आ कर भाई ने बहन व मां से कहा कि सब लोग मिलकर जहर खा लेते है। सारी समस्याओं से मुक्ति मिल जायेगी। इतना कहते ही भाई प्रभुजोत ने घर मे ही रखी कीटनाशक दवा की शीशी उठा कर पी ली। जैसे ही मां और बहन को यह मालूम हुआ वह सब प्रभुजोत को लेकर सीतापुर ले गये। जहां डाक्टरों ने उसकी हालत नाजुक देखते हुए उसे लखनऊ रेफर कर दिया वहां भी प्रभुजोत जिंदगी और मौत के बीच लड़ता रहा। आखिरकार शनिवार को वह जिंदगी की जंग हार गया। प्रभुजोत अपने पिता की तरह ही अपनी बहन व मां को बीच मझदार में छोड़कर चला गया।या जाता है।

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