जानकारी के अनुसार, कोेतवाली निघासन क्षेत्र के ग्राम झौव्वापुरवा निवासी सुरेंद्र लाल (22) के बेटे संतोष कुमार का प्रेम प्रसंग गांव के ही स्व0 जगनू की बेटी सुमित्रा (20) के साथ चल रहा था। बताया जाता है कि उनका प्यार करीब दो साल से परवान चढ़ रहा था। एक ही बिरादरी के होने के बावजूद दोनों के परिवार राजी नहीं थे। छह महीने पहले दोनों फरार हो गए। बात जब गांव में फैली तो ग्रामीणों ने दोनों को खोजा। गांव लाने पर दोनों को समझाया-बुझाया गया। ग्रामीणों ने उनकी शादी कराने का आश्वासन देकर दोनों को घर भेज दिया। बीती रात सुमित्रा अपनी मां रामजती के साथ बंगले में सोई थी। सुबह करीब चार बजे सुमित्रा की हालत बिगड़ी। पता चलने पर वह गांव में ही इलाज करने वाले बंगाली डाक्टर को बुला लाई। उसकी हालत देख डाक्टर बंगाली ने जहर खाने की बात कही। तब सुमित्रा ने खुद के व प्रेमी सुरेंद्र के जहर खा लेने की जानकारी दी। कुछ देर बाद सुमित्रा की मौत हो गई जबकि प्रेमी सुरेंद्र को सीएचसी निघासन में भर्ती कराया गया। वहां प्रेमी ने भी दम तोड़ दिया। मौके पर पहुंचे कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
जब प्रेमी युगल गांव से भाग गए थे तो ग्रामीणों ने उन्हें किसी तरह खोज निकाला था। एक ही बिरादरी के होने की वजह से उनकी शादी कराने का आश्वासन भी दिया था। मगर गांव के ही कुछ रिश्तेदार अलग ही बिसात बिछा रहे थे। वह लड़की की शादी जान-पहचाने में कराने की सोच रहे थे। शनिवार की रात फूलबेहड़ थाना क्षेत्र के किसी गांव के कुछ लोग लड़की के घर आए थे। उन्होंने न केवल लड़की को पसंद किया था बल्कि पूस महीने में शादी की तारीख भी निश्चित कर दी थी। यह पता चलने पर लड़की रात के करीब डेढ़-दो बजे लड़के से मिलने पड़ोस स्थित गन्ने के खेत में पहुंची। उसने परिवार द्वारा शादी तय करने की जानकारी दी। जिसके बाद दोनों ने खुदकुशी का इरादा कर लिया।
रात दस बजे ही दे दिया था खुदकुशी का संकेत
लखीमपुर-खीरी। भले ही सुमित्रा और सुरेंद्र ने सुबह चार बजे अपनी जिंदगी समाप्त की हो लेकिन खुदकुशी का संकेत सुमित्रा ने रात दस बजे ही दे दिया था। सुमित्रा कुछ दिनों से पैसे जोड़ रही थी। रात दस बजे अचानक उसने सारे रुपए निकाले और अपने भतीजों व भतीजियों में बांटने लगी। बकौल मां रामजती जब बेटी से पूछा कि इतनी रात में रुपए क्यों बांट रही हो। तो उसने कहा कि मां कल से तुम अपनी केवल दो ही बेटी होना समझना। इसके बाद वह अपनी मां के साथ बंगले में लेट गई।
सुरेंद्र के घर तलाशी लेेने पर एक बैग मिला। इसमें सुमित्रा का आधार कार्ड, वोटर कार्ड, एटीएम कार्ड, अंक पत्र और कपड़े आदि मिले थे। कयास लगाया जा रहा है कि मरने से पहले दोनों का इरादा एक बार फिर भाग जाने का था। लेकिन दोनों के बीच क्या बातचीत हुई और उन्होंने फिर मरने का इरादा क्यों किया यह किसी को भी समझ नहीं आ रहा।
दोनों परिवारों की स्थिति देखी जाए तो बराबर ही है। सुमित्रा और सुरेंद्र दोनों ही एक ही बिरादरी व दलित वर्ग के हैं। सुरेंद्र के माता-पिता के अलावा पांच भाई और तीन बहनें हैं। इसी प्रकार सुमित्रा की मां के अलावा उसके भी पांच भाई और तीन बहनें हैं। छह साल पहले लड़की के पिता का देहांत हो चुका है। दो बहनों की परिवार ने जैसे-तैसे शादी कर दी थी। अब केवल सुमित्रा की ही शादी होनी बची थी।