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आधुनिकीकरण प्रॉजेक्ट्स पर 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगा रेलवे

सरकार भारतीय रेलवे को नई गति और दिशा देने की तैयारी में है। रेल मंत्रालय अपने महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट के तहत 10 हजार किलोमीटर के ट्रंक रूट को हाई स्पीड कॉरिडोर में बदलने और अन्य आधुनिकीकरण प्रॉजेक्ट्स के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश योजना तैयार कर रहा है। इस पूरे प्रॉजेक्ट को 10 साल में पूरा किया जाएगा और हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकी ने यह जानकारी दी है। 

 अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि पिछले 3-4 दशक में रेलवे में मुश्किल से ही कुछ कोई तकनीकी विकास हुआ है, हम नई तकनीकों और 2014 तक नजरअंदाज रहे सेक्टर में बड़े निवेश के लिए हर कोशिश कर रहे हैं।’ 

कुल आवंटन की आधी राशि यानी करीब 10 लाख करोड़ रुपये ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने पर खर्च किए जाएंगे। इस प्लान के तहत रेलवे दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा और बेंगलुरु-हैदराबाद जैसे रूट को अपग्रेड कर हाई स्पीड कॉरिडोर में बदला जाएगा। इस रूट पर आने वाले स्टेशनों को भी वर्ल्ड क्लास टर्मिनल्स में बदला जाएगा। 

रेलवे 3300 किलोमीटर लंबे डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर प्रॉजेक्ट को भी पूरा करेगा। इससे मौजूदा रूट पर बोझ कम होगा और इस पर अधिक स्पीड में पैसेंजर ट्रेनों को दौड़ाया जा सकेगा। अधिकारी ने कहा, ‘यह अधिक मालवाहन को आकर्षित करेगा क्योंकि समय पर डिलिवरी होगी और सर्विस में अहम वृद्धि होगी। हम हमें मालवाहन दरों को कम करने में मदद करेगा।’ 

रेलवे जर्मन तकनीक आधारित 40 हजार से अधिक LHB कोचों को लाएगा, जो अधिक सुरक्षित हैं और दुर्घटना की स्थिति में होने वाली मौतों को कम करेगा। इसके अलावा रेलवे 60 हजार करोड़ रुपये की लागत से सिग्नलिंग और इलेक्ट्रिफिकेशन नेटवर्क को पूरी तरह बदलेगा, जिससे 6-7 मिनट के अंतर पर ट्रेनें दौड़ सकेंगी। 

बढ़ा है खर्च
एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से रेलवे में निवेश काफी तेजी से बढ़ा है। पिछले तीन वित्त वर्षों में सरकार ने रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 3 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। 

कहां से आएगा पैसा? 
रेलवे को प्लान के लिए इलेक्ट्रिक लाइन्स, लैंड बैंक आदि संपत्ति से काफी आय की उम्मीद है। रेलवे को लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC)और इंडियन रेलवे फाइनैंस कॉर्पोरेशन (IRFC) बॉन्ड्स जैसे संस्थागत निवेशकों से भी फंड की उम्मीद है। हाई स्पीड कॉरिडोर प्रॉजेक्ट के लिए इसे जापानी एजेंसियों, वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेलपमेंट बैंक (ADB) और दूसरे निवेशकों से पैसा मिल सकता है।