कोर्ट ने कहा कि जब सारे अधिकारी कुर्सी पर बैठ सकते हैं तो बच्चे जमीन पर बैठ कर क्यों पढ़ें? बृहस्पतिवार को शिक्षा सचिव कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने कोर्ट को बताया कि 14 मार्च 2017 को वित्त विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव पर वित्त विभाग से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए शिक्षा सचिव के साथ ही वित्त सचिव को 23 जून को कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए। कोर्ट ने 14 मार्च, 2017 के शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर कोई बजट आवंटित न होने पर हैरानी जताई और कहा कि यह बेहद खराब हालात की ओर इशारा कर रहा है। स्कूलों को सरकार प्राथमिकता में रखे।
स्कूलों के भवन दुरुस्त होने चाहिए। स्कूलों में शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। गर्मी में पर्याप्त पंखे व ठंड में हीटर की व्यवस्था होनी चाहिए। सर्व शिक्षा अभियान के तहत बीस हजार रुपये का अतिरिक्त अनुदान मदरसों को दिया जाए। अनुसूचित जाति एवं जनजाति एवं बीपीएल छात्र-छात्राओं को वजीफा (स्टाइपेंड) दिया जाए। कोर्ट ने कहा था कि आदेशों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए शिक्षा सचिव व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि पीने के पानी की व्यवस्था ठीक हो, जिससे पीलिया इत्यादि की शिकायत न हो। आजकल हल्द्वानी में गंदे पानी के कारण कई लोगों के पीलिया से ग्रस्त होने के मामले सामने आ रहे हैं।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से अमर उजाला शहर में गंदे पानी की आपूर्ति के कारण पीलिया के मामले बढ़ने के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है। जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित इलाकों का दौरा कर हालात का जायजा भी लेना पड़ा।