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स्टार्टअप पर ही टिकी है स्मार्ट सिटी

startup_1462548224करीब एक करोड़ की आबादी और गगनचुंबी इमारतों का शहर न्यूयॉर्क इन दिनों ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की जद्दोजहद कर रहा है। हालत यह है कि इस शहर में दो तिहाई बिजली यहां की इमारतों पर ही खप जाती है। 2050 तक इस शहर ने अपने ग्रीन हाउस उत्सर्जन को 80 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य रखा है, ताकि शहर को यहां के बाशिंदों के लिए और बेहतर बनाया जा सके। जिन लोगों ने इस चुनौती को स्वीकार किया है, उनमें ब्लॉक पॉवर नामक एक स्टार्टअप के तीस बरस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर थॉमस जॉर्ज भी हैं, जो कोशिश कर रहे हैं कि शहर के मध्य वर्ग वाले इलाके की इमारतों में बिजली बरतने के तौर तरीके बदले जाएं।
थॉमस की कंपनी 335 मैडिसन एवेन्यू की एक बहुमंजिला इमारत में स्थित उन सैकड़ों कंपनियों में से एक है, जो कि बिजली से लेकर परिवहन के क्षेत्र में काम कर रही हैं। असल में शैशव अवस्था की कंपनियों को यह जगह द हब और न्यूयॉर्क सिटी इकोनॉमिक डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने मुहैया कराई है और साथ ही उन्हें नए निवेशक तलाशने के मौके भी दे रहे हैं। द हब, जैसा कि इसके एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रॉबिंसन हर्नेंडेज बताते हैं कि इन्क्यूबेटर की तरह है। यानी वह अंडे को सेने का मौका दे रहे हैं और जैसे ही चूजे बड़े होने लगते हैं, वह अपने दम पर काम करने लगते हैं। उनका दावा है कि उनसे जुड़ने वाले 94 फीसदी स्टॉर्टअप सफलता की राह पर हैं।
वह कहते हैं कि हम तो स्टार्टअप को न्यूयॉर्क के प्राइम लोकेशन में अपना पता दे रहे हैं! बेशक यहां भारत का अभी एक भी स्टार्टअप नहीं है। न्यूयॉर्क सिटी इकोनॉमिक डेवलमेंट कॉर्पोरेशन (एनवाईसीईडीसी) जेसन गूड बताते हैं कि वह सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों ही तरह की कंपनियों को मौके दे रहे हैं। उनके मुताबिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के साथ ही न्यूयॉर्क की बड़ी चुनौती यहां पैदा होने वाला कचरा भी है। न्यूयॉर्क दुनिया के सर्वाधिक कचरा पैदा करने वाले शहरों में से एक है। इस तरह की हर चुनौती का साल्यूशन तलाशने के लिए एनवाईसीईडीसी जिस मॉडल पर काम कर रहा है उनमें इंजीनियरिंग कॉलेजों की बड़ी भूमिका है, क्योंकि वह युवा इंजीनियरों को नवोन्मेष के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यहीं अपने लिए संभावनाएं तलाश रहीं कनेक्टिंग थिंग्स की जूलिया फिलोट बताती हैं कि उनकी कंपनी ने एक बीकन बनाया है, जिसे शहर के प्रमुख जगहों पर लगाया गया है, जिसकी रेंज में आएं तो आपके मोबाइल फोन पर तुंरत पता चल जाएगा कि आपके लिए अगली बस कब आने वाली है। कहना मुश्किल है कि उनका यह बीकन बनारस के गदौलिया जैसे तंग इलाके में कितना काम करेगा।पवन बिजली सौर ऊर्जा से घट सकती है लागत
न्यूयॉर्क सिटी इकोनॉमिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने जिस शुरुआती कंपनी फ्यूचर लैब के साथ मिलकर काम किया उसकी प्रबंध निदेशक पैट सैपिंस्ले पवन बिजली और सौर ऊर्जा को वैकल्पिक स्रोत बताती हैं।उनकी फ्यूचर न्यूयार्क के उपनगर ब्रूकलेन में स्थित एक इंजीनयिंग कॉलेज के साथ संबद्ध है। वह भी तकरीबन 20 स्टार्टअप के साथ काम कर रहे हैं, जिनमें इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे छात्र तक ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के बेहतर इस्तेमाल के तरीके तलाश रहे हैं।
वह कहती हैं कि एलईडी बल्ब से ही बिजली की लागत 90 फीसदी तक कम हो सकती है और सौर ऊर्जा से 40 फीसदी। साथ ही वह कोयले से बिजली पैदा करने वाले भारत जैसे देश को नसीहत भी देती हैं कि आज नहीं तो कल उसे भी ऐसे स्रोतों को खंगालना पड़ेगा।
 
 

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