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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला: विवाहित बहन की संपत्ति पर भाई का कोई अधिकार नहीं

SC1 (1)सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी पुरुष अपनी बहन की संपत्ति, जो उसे उसके पति से प्राप्त हुई हो, पर अधिकार का दावा नहीं कर सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि भाई को बहन की संपत्ति का वारिस या उसके परिवार का सदस्य नहीं माना जाएगा।

शीर्ष अदालत ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के एक प्रावधान का हवाला भी दिया। यह प्रावधान कानूनन वसीयत नहीं बनाने वाली महिला की मौत के बाद उसकी संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा है, बशर्ते महिला की मौत इस नियम के लागू होने के बाद हुई हो। शीर्ष अदालत ने एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह कहा।

याचिकाकत्र्ता ने मार्च, 2015 के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे उसकी विवाहित बहन के देहरादून स्थित संपत्ति में अनाधिकृत निवासी बताया गया था। इस घर में उसकी बहन किराए पर रहती थी और बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस  संपत्ति को वर्ष 1940 में व्यक्ति की बहन के ससुर ने किराए पर लिया था,  बाद में महिला का पति यहां का किराएदार बन गया। पति की मौत के बाद संपत्ति की किराएदार महिला बन गई।

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