मुख्यमंत्री ममती बनर्जी की मांग पर राज्य सचिवालय के पास स्थित टोल प्लाजा से आर्मी हटा ली गई है। गुरुवार देर रात जब कुछ पत्रकार हुगली नदी पर बने दूसरे पुल पर स्थित टोल प्लाजा का जायजा लिया तो उन्हें आर्मी का एक भी जवान नहीं मिला।
यहां तक कि आर्मी का टेंपररी शेड भी हटाया जा चुका था। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सचिवालय में डेरा जमाया हुआ था। ममता ने यह आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार को सूचित किए बगैर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर पलसित और दनकुनी के दो टोल प्लाजा पर सेना तैनात की गई है जो ‘अभूतपूर्व और गंभीर मुद्दा है।’
उन्होंने राज्य सचिवालय में ही डेरा डाल लिया। उनका कहना है कि जब तक इसके सामने स्थित टोल प्लाजा से सेना नहीं हटाई जाती, वह तब तक वहां से नहीं हटेंगी । ममता ने कहा, ‘राज्य सरकार को सूचित किए बगैर दो टोल प्लाजा पर सेना तैनात की गयी है। यह बहुत गंभीर स्थिति है, आपातकाल से भी खराब है।’ वहीं, पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी दो ट्वीट कर दावा किया कि राज्य सरकार के सहमति लिए बिना पश्चिम बंगाल के करीब-करीब सभी इलाकों में सेना तैनात कर दी गई है।
सेना ने कहा है कि वह इस प्रकार की कवायद पूरे देश में सालाना तौर पर करती है। इस तीन दिवसीय अभ्यास का कल (शुक्रवार को) आखिरी दिन है। इसका मकसद यह होता है कि सेना को किसी आपात स्थिति में कितने वाहन उपलब्ध हो सकते हैं। रक्षा मंत्रालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने बताया कि कुछ जगहों से जरूरी आंकड़े जुटा लिए गए हैं और आर्मी को वहां से हटने को कहा गया है। उन्हें कल दूसरी जगहों पर तैनात किया जाएगा।
सेना का कहना है कि इस कवायद से डरने की कोई बात नहीं है और यह सरकार के आदेश के मुताबिक होता है। ममता बनर्जी ने जानना चाहा था कि क्या यह संघीय व्यवस्था पर हमला है। उन्होंने कहा था कि अवसर मिलने पर इस मुद्दे को लेकर मैं राष्ट्रपति से बात करेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सेना हमारी संपत्ति है। हमें उनपर गर्व है। हमें बड़ी अपदाओं और सांप्रदायिक तनाव के दौरान सेना की जरुरत होती है।’