Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

सिटीजन जर्नलिस्ट:बीमा कंपनी के रिकवरी एजेंटों ने ली किसान की जान…

सिटीजन जर्नलिस्ट(हरीश वर्मा)
सीतापुर |
प्रदेश में किसानों की ऋण माफ़ी को लेकर सरकार अपना काम कर रही है, तो वहीं किसानों को ऋण देने वाली प्राइवेट फाइनेंस कंपनी ऋण वसूली को लेकर किसानों से दबंगई पर उतर आयी हैं. कम्पनी के कर्मचारी किसानों से अपनी रकम की वसूली के लिए उनकी जान तक लेने में तुले हुए है.
सीतापुर में हुई हृदयविदारक घटना के बाद मृतक किसान के परिवार से मुलाक़ात कर उन्हें सांत्वना दी और पुलिस से मामले में सख्त करवाई करने के लिए कहा. इस तरह की घटनाएँ बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. किसानों पर अत्याचार किसी भी हालत में सहन नहीं किया जाएगा। अगर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति होती है तो पूरे देश में प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी जायेगी।

क्या है पूरा मामला…

मामला राजधानी लखनऊ से सटे सीतापुर जिले के राम कलां थाना क्षेत्र के भौरी गाँव का हैं. जहाँ बीते शनिवार को गाँव के एक दलित किसान ज्ञानचंद को रिकवरी एजेंट्स ने पैसे नहीं चुकाने के कारण मौत के घाट उतार दिया. फाइनेंस कंपनी के इन एजेंटों ने किसान की ट्रेक्टर से कुचलकर निर्मम हत्या कर दी.

महज 30-35 हजार रुपयों के लिए…

आपको बता दे कि 45 वर्षीय दलित किसान ज्ञानचंद ने तीन साल पहले एलएंडटी नाक की फाइनेंस कंपनी से पांच लाख रुपए का लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा था, जिसमे उसका अब सिर्फ 30-35 हजार रुपया ही बकाया रह गया था, जिसके एवज में एजेंटों ने इस करतूत को अंजाम दे दिया.

जान और ट्रैक्टर दोनों की रिकवरी कर ले गये

शनिवार को किसान ज्ञानचंद अपने खेतों की जुताई कर रहा था, तभी फाइनेंस कंपनी के चार एजेंट खेत पहुँच गए. जिसमें दो सुधीर और अमित नाम के और दो अज्ञात है. एजेंटों ने ज्ञानचंद को बंधक बना लिया.
चश्मदीद राज किशोर उस समय खेत पर ही था उसने बताया कि ज्ञानचंद कागज दिखाकर बकाया पैसों को जमा करने की बात कर रहे थे. ज्ञानचंद ट्रैक्टर नहीं ले जाने की मिन्नत करते रहे तब तक मैंने देखा कि वो ट्रैक्टर के नीचे दबे हैं.
राजकिशोर के मुताबिक, जब तक मैं गांव वालों को बुलाने के लिए आया तब तक रिकवरी एजेंट्स ट्रैक्टर लेकर फरार हो गए थे और लाश को वहीं छोड़ दिया था.

पांच बेटियों का बाप है, किसान कब मिलेगा न्याय…

किसान ज्ञानचंद की पांच बेटियां है, सबसे छोटी बेटी अभी महज छः माह की है. पुलिस ने इस मामले में लूट और हत्या जैसी धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है. पुलिस की कार्यवाही तो जारी है. लेकिन अभी तक ना तो हत्यारें पकड़ में आये हैं, और ना ही किसान का वो ट्रेक्टर जिसकी वजह से उसकी जान चली गयी.