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साइबर सिक्योरिटी फर्म ने फर्जी ई-वॉलेट कंपनियों का किया बड़ा खुलासा

06_02_2017-cybersecuritysolनई दिल्ली। 8 नवंबर को सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद देश को डिजिटल इकोनॉमी की ओर ले जाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए ई-वॉलेट, नेट बैकिंग, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड जैसे पेमेंट के तरीकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जैसे-जैसे ग्राहकों के बीच डिजिटल भुगतान लोकप्रिय हो रहा है उसी तरह साइबर क्राइम की संभवना बढ़ती जा रही है।

साइबर सिक्योरिटी सॉल्यूशन फर्म कैस्परस्काई के मुताबिक, अब तक इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है, लेकिन साइबर अपराधियों की ओर से एप स्टोर्स पर नकली एप्स डालने की संभावना काफी ज्यादा है। कैस्परस्काई लैब साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक अल्ताफ हाल्दे ने बताया, ‘डिजिटल पेमेंट कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके ऐप्स पर किये जाने वाले लेनदेन सुरक्षित है। इसके अलावा ग्राहक के लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए सत्यापन जांच भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।’

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में साइबर अपराधी उपभोक्ताओं को नकली एप डाउनलोड करने के लिए आकर्षित कर सकते हैं, जो असल एप की तरह दिखते हैं। इससे बैक डोर से इन ऐप्स का स्मार्टफोन में प्रवेश हो जाएगा। बैंकों और मोबाइल वॉलेट कंपनियों जैसे वित्तीय संस्थानों को जहां एक ओर ग्राहकों की सूचना को संरक्षित रखने के लिए कदम उठाने होंगे, वहीं दूसरी ओर यूजर्स को भी सतर्कता बरतनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी प्रकार के नकारात्मक अनुभव से डिजिटल ट्रांजैक्शन में उनका भरोसा कम हो सकता है।

 

 

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