प्रदेश में भाजपा सरकार अाते ही संस्कृत भाषा में टीवी चैनल खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। पिछली सरकार में यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था,लेकिन भाजपा के सत्ता में आते ही चैनल को लेकर दोबारा से प्रयास तेज हो गए हैं। संस्कृत अकादमी की ओर से चैनल की डीपीआर के लिए निविदाएं मांगी गई हैं।
24 घंटे के इस चैनल के माध्यम से प्रदेश के चारों धाम समेत सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों की धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का सीधा प्रसारण करने के अलावा पुराणों और वेदों पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण होगा।शासन स्तर पर पिछले तीन-चार साल से संस्कृत भाषा का चैनल खोलने की तैयारी है। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा भी था।
निविदा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयनित एजेंसी को डीपीआर बनाने का जिम्मा दिया जाएगा। डीपीआर से चैनल की लागत का आंकलन होने के बाद प्रस्ताव पहले सचिव समिति की बैठक में आएगा और इसके बाद इस पर कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी।
अकादमी के स्तर पर चैनल लाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार- प्रसार करना है। प्रदेश में संस्कृत द्वितीय राज भाषा है। चैनल के माध्यम से सिर्फ संस्कृत भाषा को ही प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा, बल्कि बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की धार्मिक गतिविधियों के अलावा हेमकुंड साहिब, पिरान कलियर और नानकमत्ता सरीखे प्रसिद्ध धर्मस्थलों में पूजा-अर्चना का प्रसारण होगा। कार्यक्रमों के सब टाइटल हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और पंजाबी में होंगे।