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संस्कृत भाषा में शुरू होगा भाजपा सरकार का नया चैनल

trivendra-singh-rawat-fbप्रदेश में भाजपा सरकार अाते ही संस्कृत भाषा में टीवी चैनल खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। पिछली सरकार में यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था,लेकिन भाजपा के सत्ता में आते ही चैनल को लेकर दोबारा से प्रयास तेज हो गए हैं। संस्कृत अकादमी की ओर से चैनल की डीपीआर के लिए निविदाएं मांगी गई हैं।

24 घंटे के इस चैनल के माध्यम से प्रदेश के चारों धाम समेत सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों की धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का सीधा प्रसारण करने के अलावा पुराणों और वेदों पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण होगा।शासन स्तर पर पिछले तीन-चार साल से संस्कृत भाषा का चैनल खोलने की तैयारी है। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा भी था। 

तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में अकादमी की सामान्य बैठक में चैनल लाने के मसले पर सैद्धांतिक सहमति भी बन गई थी। अकादमी के स्तर पर एक वर्किंग कमेटी का गठन भी हुआ था, जिसमें सभी धर्मों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था। चैनल के कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बना ली गई थी। लाइसेंस के लिए भी बातचीत चल रही थी, लेकिन, सरकार की उदासीनता के चलते बात आगे नहीं बढ़ सकी।चैनल के लिए 30 करोड़ के बजट का अनुमान लगाया गया है। यह राशि अकादमी को कहां से जुटानी है, इसके लिए भी होमवर्क हो चुका है। तीर्थनगरीहरिद्वार में ही कई साधू-संतों ने चैनल के लिए वित्तीय मदद का भरोसा दिया है। योगगुरु बाबा रामदेव से भी चैनल के संबंध में बात चल रही है।
निजाम बदला तो कवायद तेज
निविदा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयनित एजेंसी को डीपीआर बनाने का जिम्मा दिया जाएगा। डीपीआर से चैनल की लागत का आंकलन होने के बाद प्रस्ताव पहले सचिव समिति की बैठक में आएगा और इसके बाद इस पर कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी।
चैनल लाने का उद्देश्य
अकादमी के स्तर पर चैनल लाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार- प्रसार करना है। प्रदेश में संस्कृत द्वितीय राज भाषा है। चैनल के माध्यम से सिर्फ संस्कृत भाषा को ही प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा, बल्कि बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की धार्मिक गतिविधियों के अलावा हेमकुंड साहिब, पिरान कलियर और नानकमत्ता सरीखे प्रसिद्ध धर्मस्थलों में पूजा-अर्चना का प्रसारण होगा। कार्यक्रमों के सब टाइटल हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और पंजाबी में होंगे। 
मामले में संस्कृत भाषा के अपर सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी ने बताया कि संस्कृत में टीवी चैनल को लेकर लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं। इसकी डीपीआर के लिए टेंडर आमंत्रित कर लिए गए हैं। डीपीआर तैयार होने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।

 

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