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शिवपाल परिवार और पार्टी से क्यों होते चले गए दूर, हो सकतते हैं ये बड़ी कारण

  • लखनऊ.मुलायम ने एक बार फिर चरखा दांव चल दिया है, लेकिन इस बार निशाने पर कोई राजनैतिक दल नहीं बल्कि खुद परिवार का सदस्य और उनके भाई शिवपाल यादव हैं। 15 महीने से चल रहे यादव परिवार में विवाद में अब शिवपाल यादव अकेले पड़ गए हैं। सोमवार को मुलायम की प्रेस कांफ्रेंस में भी वो नहीं पहुंचे और न ही मुलायम ने नई पार्टी की घोषणा ही की। बातचीत कर जाना कि आखिर शिवपाल यादव ने कौन सी गलतियां की जिसकी वजह से उन्हें यह दिन देखना पड़ा। 
    शिवपाल  परिवार और पार्टी से क्यों होते चले गए दूर, हो सकतते हैं ये बड़ी कारण

    एक्सपर्ट्स ने बताए ये 7 रीजन…

    1. महत्वाकांक्षा

    – 5 नवंबर 1992 में जब से पार्टी बनी है तब से ही शिवपाल नंबर दो की पोजीशन पर ही रहे हैं। जब-जब सपा की सरकार रही वह सरकार में भी नंबर दो की ही पोजीशन पर रहे। 
    – कोई भी संकट हो या किसी बड़े कार्यक्रम का आयोजन मुलायम ने हमेशा शिवपाल को तरजीह दी। 
    – जब 2012 में सपा बहुमत से सत्ता में आई और मुलायम ने सीएम बनने से मना किया तो शिवपाल की महत्वाकांक्षा जाग गई। 
    – यही वजह थी कि तब शिवपाल यादव बतौर सीएम अखिलेश के नाम पर सहमत नहीं थे और लगभग 2 दिन तक यह ड्रामा चला था। 
    – आज भी शिवपाल यादव यही चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी में पहले उन्हें तवज्जो मिले इसके बाद अखिलेश को मिले।

    2. ओवर कांफिडेंस

    – सपा की जब भी सरकार बनी तब वह अपने हिसाब से काम करते रहे। ऐसा ही हाल उनका संगठन में भी रहा। सब कुछ अपने हिसाब से हैंडल करते रहे। 
    – चूंकि तब मुलायम को शिवपाल की जरूरत थी और अखिलेश इस पूरे सीन से गायब थे। लेकिन जब अखिलेश के हाथ में सत्ता आई तब भी शिवपाल अपने हिसाब से काम करते रहे। 
    – अखिलेश सरकार में वह खुद को अखिलेश के मुकाबले इम्पोर्टेन्ट मान बैठे। उन्हें लगा उनके बिना सरकार नहीं चल सकती और न ही पार्टी चल सकती है। जबकि यह बात अखिलेश को खलने लगी और फिर यह विवाद सामने आया। 
    – यही नहीं शिवपाल कल तक ओवरकॉन्फिडेंट थे कि मुलायम उनका ही समर्थन करेंगे, लेकिन एन वक्त पर मुलायम ने पलटी मार दी।

    3. शॉर्टकट

    – शिवपाल हमेशा से ही मुलायम के लिए ख़ास रहे। क्योंकि पार्टी को खड़ा करने में शिवपाल की अहम भूमिका रही है। 
    – लेकिन अखिलेश सरकार में शिवपाल बतौर मंत्री सीएम अखिलेश की सलाह लेने के बजाय मुलायम से बात किया करते थे। 
    – यादव परिवार में विवाद के दौरान भी शिवपाल ने शॉर्टकट का रास्ता अपनाया और मुलायम से कई ऐसे फैसले करवाए जिसके बाद विवाद बढ़ता चला गया। 
    – 1 जनवरी 2017 को सपा के अधिवेशन में भी अखिलेश ने इस ओर इशारा किया था कि कुछ लोग मुलायम का फायदा उठा रहे हैं।

    4. अखिलेश का विरोध

    – शिवपाल भले ही मुलायम के ख़ास रहे हों, लेकिन वह भूल गए कि मुलायम एक पिता भी हैं। उन्हें लगा कि वह अखिलेश के खिलाफ हो जाएंगे और मुलायम उन्हें माफ़ कर देंगे। इतिहास गवाह है कि ऐसा कभी नहीं हुआ। 
    – 25 सितम्बर को भी शिवपाल यादव मुलायम के जरिए नई पार्टी का एलान करवाना चाहते थे, लेकिन मुलायम ने साफ़ मना कर दिया और बता दिया कि कुछ भी हो मैं अखिलेश के खिलाफ नहीं जाऊंगा।

    5. जिद

    – इस पूरे विवाद में जहां अखिलेश ने अपना जिद्दी स्वभाव नहीं छोड़ा तो वहीं शिवपाल यादव भी जिद्दी बने रहे। 
    – ऐसे कई मौके आए जब सुलह की गुंजाइश बनी, लेकिन महज जिद के चलते ऐसा नहीं हो सका। 
    – 23 अक्टूबर 2016 को जब सपा कार्यालय में आमसभा हुई तो अखिलेश-शिवपाल के बीच हाथापाई तक हो गई और यह महज जिद के कारण हुआ। 
    – 25 सितम्बर 2017 को भी जब मुलायम ने शिवपाल का भेजा प्रेस नोट पढ़ने से इनकार कर दिया तो जिद के चलते वह प्रेस कांफ्रेंस में भी नहीं आए।

    6. कान के कच्चे

    – चाहे शिवपाल यादव हो या फिर अखिलेश, उनके पास दरबारियों की कमी नहीं है। इन्हीं दरबारियों ने यादव परिवार की कलह को सबसे ज्यादा आगे बढ़ाया। 
    – जो विवाद यादव परिवार डिनर टेबल पर बैठकर सुलझा सकता था वह विवाद सड़क पर आ गया। 
    – ऐसे कई नाम है जिन्होंने शिवपाल के कान भरने का काम किया है। 25 सितम्बर को भी ऐसे ही किसी दरबारी ने प्रेस नोट लीक कर मामले में शिवपाल की फजीहत करवा दी।

    7. अखिलेश को कमतर समझना

    – 2012 में मुलायम की जगह शिवपाल का सीएम न बन पाना अब तक अखर रहा है। संगठन और सपा सरकार में हमेशा नंबर 2 की पोजीशन पर रहे शिवपाल ने अखिलेश को बतौर सीएम कुछ समझा ही नहीं। 
    – ऐसे कई मामले रहे जिसमें उन्होंने बतौर सीएम अखिलेश को क्रॉस किया। जैसे तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल शिवपाल की पसंद थे, जबकि अखिलेश उन्हें नापसंद करते थे, लेकिन अखिलेश उनका तबादला नहीं कर पाए। यही नहीं बिना मर्जी के दीपक सिंघल को मुख्य सचिव तक बनाना पड़ा। 
    – शिवपाल के ऊपर आरोप लगे कि बतौर मंत्री उन्होंने कमाया खुद, लेकिन बदनाम अखिलेश सरकार हुई। इस तरह के मामलों से विवाद बढ़ता चला गया।