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वारदात:चलो पापा ने बुलाया है’ कहकर बच्चे का किया अपहरण 

 देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
  • ई-रिक्शे से स्कूल जा रहा था बच्चा

  • शक होने पर रिक्शा चालक ने किया घर में फोन

  • एसपी के निर्देश पर सक्रिय हो गई पुलिस

  • पकड़े जाने के डर से अपहरणकर्ता ने बच्चे को छोड़ा

मंगलवार की सुबह स्कूल जा रहे बच्चे के अपहरण के मामले से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। घटना का पता चलने पर पुलिस व प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन उच्चाधिकारी घटना स्थल पहुंच गए। बच्चे की तलाश जोर-शोर से शुरू हुई। चारों ओर पुलिस सायरन की गूंज थी। हर तरफ नाकेबंदी थी। इससे अपहरणकर्ता का हौसला पस्त हो गया। उसने बच्चे को एक गन्ने के खेत में हाथ-पांव बांध कर डाल दिया। कुछ देर बाद बच्चा अपने पैर खोल कर सड़क पर पहुंचा जहां से गुजर रहीं स्कूली छात्राओं ने बच्चे से घटना सुनकर पुलिस को अवगत कराया। पुलिस ने बच्चे से पूछताछ की और फिर परिजनों के सुपुर्द कर दिया। 
  घटनाक्रम के अनुसार, मंगलवार की सुबह करीब 9:30 कोतवाली व नगर गोला गोकर्णनाथ के मोहल्ला तीर्थ निवासी कमलेश वर्मा को बेटा कुशाग्र उर्फ लिटिल (9) अपने स्कूल सेंट जॉन्स को जा रहा था। वह स्कूल के ही ई-रिक्शा पर सवार था। इसी बीच एक बाइक सवार व्यक्ति ने रिक्शा रोक लिया। उसने बताया कि बच्चे के पिता ने उसे बुलाया है और उसने फोन पर किसी से बात भी कराई। पिता के द्वारा बुलाए जाने की बात मानकर बच्चा उसके साथ चला गया। लेकिन यह बात ई-रिक्शा चालक मंगू लाल की समझ से परे हो गई। कुछ देर तक मन में चली उधेड़-बुन के बाद अपने शक को शांत करने के लिए उसने बच्चे के घर फोन किया। जैसे ही काल रिसीव हुई रिक्शा चालक ने पूछा कि क्या बाबू घर पहुंच गया। इस पर परिजनों ने कहा कि बच्चे को तो तुम ले गए थे। तब उसने पूरी बात परिवार वालों को बताई। मामले का पता चलते ही उन्होंने पड़ोस में रहने वाले पलिया विधायक रोमी साहनी से मदद की गुहार लगाई। विधायक ने तुरंत पुलिस अधीक्षक को मामले से अवगत कराते हुए त्वरित कार्रवार्ई के लिए कहा। 
  बच्चे के अपहरण की खबर पता चलते ही एसपी ने अलर्ट जारी कर दिया। बच्चे की तलाश में पुलिस की गाडिय़ां सायरन बजाते हुए कांबिंग करने लगीं। जगह-जगह नाकेबंदी कर दी गई। उधर पुलिस के सक्रिय हो जाने से अपहरणकर्ता के हाथ-पांव फूल गए। खुद के पकड़े जाने के डर से उसने बच्चे के हाथ-पांव बांध कर एक खेत में डाल दिया और मौके से भाग निकला। इधर जब बच्चे ने काफी जद्दोजहद के बाद अपने हाथ-पांव खोले और खेत से बाहर निकला। तब उसे एक वृद्ध मिला जिससे उसने बाहर जाने का रास्ता पूछा। वृद्ध के बताने पर वह बदहवाश रोड पर पहुंचा। उसे देश गुजर रहीं स्कूल की छात्राएं रुक गईं और उन्होंने उसे रोकते हुए पूरी बात पूछी। बच्चे के जानकारी देने पर छात्राओं ने पुलिस को अवगत कराया। पुलिस ने बच्चे से पूछताछ की और उसे परिवार के सुपुर्द कर दिया। 

रिक्शा चालक की सूझ-बूझ आई काम

यूं तो बच्चों की सेफ्टी के लिए स्कूलों पर तमाम नियम-कानून लागू किए गए हैं। इसमें एक नियम यह भी है कि बच्चों को लाने-ले जाने वाले चालक की पूरी डिटेल और उस पर निगाह रखने के लिए वैन व बस आदि में कोई स्टाफ टीचर होना अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में खुद रिक्शा चालक ही जिम्मेदार निकला। किसी अंजान द्वारा रिक्शा रोकना, बच्चे से बात फोन पर किसी को पापा बताकर बात कराना और उसे लेकर चला जाना उसे रास नहीं आ रहा था। इससे पहले कि अनहोनी हो जाए उसने घरवालों से बात कर असलियत जानना ही जरूरी समझा। उसका शक सही साबित हुआ। पर समय रहते सूझ-बूझ दिखाने के चलते अपहरणकर्ता के मंसूबे नाकाम हो गए और उसे बच्चे को छोडऩा पड़ा। 

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