देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
खैरीगढ़ गांव से लापता हुए वृद्ध का शव एक हफ्ते बाद मिला। लेकिन जब शव दिखा तो नजारा बड़ा ही विभित्स था। मगरमच्छ शव को नोंच-नोंच कर खा रहे थे। अधिक सडऩे और क्षत-विक्षत होने से उसकी पहचान नहीं हुई। लेकिन नदी पर बने पुल किनारे रखे बैग से मृतक की पहचान हो सकी।
गांव खैरीगढ़ निवासी इश्तखार बेग की शादी नहीं हुई थी। वह गांव में अपने भांजे जावेद के घर रहते थे। जावेद ने बताया कि मामा इश्तखार मंदबुद्धि थे। वह अक्सर घर से बिना बताए अपने बड़े भाई बरेली निवासी जब्बार और आंवला में रह रही बहन के घर चले जाते थे। दो मई की शाम को मामा इश्तखार बैग लेकर घर से निकले थे। लेकिन वापस नहीं लौटे। पहले तो सभी ने सोचा कि वह हमेशा की तरह किसी के यहां चले गए होंगे। जब फोन कर पता किया गया तो मालूम हुआ कि वह कहीं भी नहीं पहुंचे। इस पर भांजे को चिंता हुई। कई जगहों और रिश्तेदारियों आदि में तलाश की गई लेकिन कोई अता-पता नहीं चला। इस पर उन्होंने थाना सिंगाही में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। शनिवार की शाम गांव भैरमपुर के कुछ लोगों ने जौराहा नदी के टाइगर रिजर्व में स्थित अमुवापुल के निकट एक शव देखा, जिसे मगरमच्छ नोच रहे थे। इसकी सूचना भैरमपुर के चौकीदार मंगल ने पुलिस को दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव बाहर निकलवाया। शव का काफी हिस्सा मगरमच्छों ने खा डाला था। इससे शव की शिनाख्त नहीं हो पा रही थी। पुलिस ने शव मिलने की सूचना भांजे जावेद को देकर शिनाख्त के लिए बुलवाया। मौके पर परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पहुंचे जावेद ने पुल के निकट रखी बैग और कपड़ों से शव की शिनाख्त अपने मामा के रूप में की। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। कयास लगाया जा रहा है कि नदी से गुजरते समय मगरमच्छों ने उस पर हमला कर दिया होगा जिससे उनकी मौत हो गई।