नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेलने बैंकों का फंसा कर्ज 9.6 प्रतिशत तक पहुंच जाने को अस्वीकार्य बताते हुये कहा कि एक तय समय सीमा में गैर- निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की समस्या सुलझाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने की जरूरत है. पटेल ने उद्योग एवं वाणिज्य संगठन सीआईआई द्वारा यहां आयोजित सम्मेलन में वित्त मंत्री अरुण जेटली की उपस्थिति में बैंकरों एवं उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि फंसे ऋण का 9.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाना अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा, ‘बैंकिंग प्रणाली में मार्च 2017 में सकल एनपीए अनुपात 9.6 फीसदी पर तथा संकटग्रस्त संपत्तियों की वृद्धि का अनुपात 12 प्रतिशत पर पहुंच गया. पिछले कुछ सालों में इस अनुपात का लगातार ऊंचे स्तर पर बने रहने के मद्देनजर यह चिंता की बात है.’
पटेल ने स्वीकार किया कि अधिकांश सार्वजनिक बैंकों की बैलेंस शीट उनके फंसे ऋण का समाधान कर पाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे में उनमें नई पूंजी डालने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा, ‘सार्वजनिक बैंकों को एक तय समयसीमा में अपेक्षित पूंजी जुटाने में सक्षम बनाने योग्य कदमों की तैयारी के लिए सरकार और रिजर्व बैंक बातचीत कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि कुल एनपीए में 86.5 प्रतिशत बड़े कर्जदारों के कारण है. उन्होंने कहा, ‘बैंकों की पूंजी के प्रभावी पुनआर्वंटन और उनके बैलेंस शीट में सुधार के लिए एक तय समयसीमा के भीतर समाधान निकाला जाना या संकटग्रस्त संपत्तियों को तरल बनाया जाना महत्वपूर्ण है.’
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पटेल ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक इस मुद्दे का वृहद स्तर पर बहुआयामी समाधान तलाशने के लिये मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनपीए समाधान प्रयासों की सफलता काफी कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बही खातों की क्षमता पर निर्भर करेगा की वह इसकी कितनी लागत को वहन कर सकते हैं. एनपीए खातों के किसी भी समाधान में बैंकों को काफी राशि का बोझ उठाना पड़ सकता है.