Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

राष्ट्रवाद किसी समस्या का समाधान नहीं देगा : युवाल

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के एक अहम सत्र में ‘सेपियन्स: अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमन काइन्ड’ के लेखक युवाल नोह हरारी ने शिरकत की. इतिहासकार हरारी ने अपने भाषण के दौरान वैश्वीकरण और इतिहास पर बात की. इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि दुनिया में दो प्रकार के भगवान हैं. एक वो जिनके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते और दूसरे वो जिनके बारे में हमें सब कुछ पता है.

दरअसल, हरारी से सवाल पूछा गया कि क्या आप भगवान में विश्वास करते हैं तो उन्होंने कहा कि मैं भगवान में विश्वास नहीं करता. साथ ही उन्होंने अपनी पहली बात को बीच में रोकते हुए बताया कि दुनिया में दो प्रकार के भगवान हैं. एक वो जो अदृश्य हैं, जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते, जो कि रहस्यमयी हैं. जब कभी लोगों को किसी सवाल का जवाब नहीं मिलता तो लोग इसी भगवान को याद करते हैं और कहते हैं कि ये भगवान ने किया या बनाया होगा. इस भगवान को न तो कभी देखा गया और न ही कभी सुना गया. मैं इसी भगवान को मानता हूं.

वहीं, दूसरे प्रकार के भगवान इसके बिलकुल विपरीत हैं, जिसके बारे में हम सभी को सब कुछ पता है. उनके बारे में हमें ये पता है कि उन्होंने महिलाओं के फैशन के लिए क्या किया है, ह्यूमन सेक्सुअलिटी के लिए क्या किया. ये वो भगवान हैं जो हमें बताते हैं कि हमें किस नेता को वोट देना है. जिन्हें जादू आता है, जो ये कहते हैं कि एक व्यक्ति दो महिलाओं के साथ संबंध बना सकता है. लेखक हरारी कहते हैं कि ये बेहद खतरनाक प्रकार के भगवान हैं. जिन्हें मैं नहीं मानता.

उन्होंने दूसरे प्रकार के भगवान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर कोई अदृश्य शक्ति है जिसने इस ब्रह्मांड की रचना की, संसार की रचना की, मानव को बनाया, ब्लैक होल के लिए उत्तरदायी है, जिसने सुंदर जीवन दिया. उसे शायद ही इस बात से मतलब होगा कि महिलाओं का ड्रेस कोड क्या होना चाहिए.

‘चार से पांच हजार साल पहले पहली बार आया राष्ट्रवाद’

हरारी ने कहा कि भविष्य वर्तमान से बहुत अलग होगा और वैश्विक समस्याओं को समाधानों की आवश्यकता होगी. राष्ट्रवाद के इतिहास के बारे में बताते हुए हरारी ने कहा कि 4,000-5,000 साल पहले राष्ट्रवाद पहली बार नदी के तटवर्ती इलाकों में आया. उस समय नदियों और प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए छोटे समूह एक साथ मिलकर काम करते थे. उन लोगों ने एक साथ मिलकर नहरों और बांधों का निर्माण किया. मिलकर अनाज उगाए.

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जिस प्रकार के राष्ट्रवाद की वापसी हुई है वो चिंता का विषय है और ये दुनिया के किसी दूरदराज के कोने में नहीं बल्कि उत्तरी अमेरिका, यूरोप और भारत में है. यह एक चिंता है क्योंकि राष्ट्रवाद समाधान प्रदान करने में सक्षम नहीं होगा, जिसका सामना भविष्य में दुनिया करेगी.

रामायण पर बोले हरारी- एक तथ्य के सच होने से पूरी कहानी को सही नहीं माना जा सकता

जब लेखक हरारी से पूछा गया कि क्या आपके यहां भी भारत की तरह इतिहास से छेड़छाड़ और उसे लेकर विवाद होता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इतिहास से छेड़छाड़ भारत ही नहीं बल्कि एक ग्लोबल समस्या है. उन्होंने कहा कि इतिहास एक पौराणिक कथा है. हरारी ने कहा कि मैं ये नहीं कहता कि सभी धार्मिक किताबें सही हैं, इसके लिए हमें कथा और सच्चाई में फर्क करना होगा.