इसके तहत जहां राम मंदिर था, वहीं राम मंदिर बनाया जाएगा और मस्जिद वहां से दूर मुस्लिम बहुल इलाके में बनेगी। जिसका नाम बाबरी मस्जिद न होकर मस्जिद-ए-अमन होगा।
क्योकि किसी आक्रमणकारी के नाम पर मस्जिद का नाम नहीं रखा जा सकता। इस फार्मूले को लेकर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड यूपी के अध्यक्ष वसीम रिजवी अयोध्या पहुंचे।उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे स्वर्गीय रामचंद्र परमहंस के उत्तराधिकारी महंत सुरेश दास से दिगंबर अखाड़े में मुलाकात की।
इस दौरान आरएसएस के प्रचारक और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक महिराध्वज उनके साथ रहे और सुलह समझौते के फार्मूले पर सहमति बनाने की कोशिश की।
इस फार्मूले पर अभी तक सहमति जताई गई है और इसको लेकर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी कल रविवार को राम मंदिर से जुड़े पक्षकारों से कल मुलाकात करेंगे।हालांकि अभी तक इस फार्मूले पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से भी बातचीत करने को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है।
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड उनसे बातचीत के सख्त खिलाफ है। उनका कहना है कि सुन्नी पक्ष बहुत पहले ही खारिज हो चुका है। उनका मस्जिद पर कोई दावा बनता ही नही लिहाजा वह उनसे कोई बातचीत नही करेंगे।
वसीम रिजवी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड यूपी के अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे तमाम सबूत है की मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ था।
हमने सुप्रीमकोर्ट से कहा है की हम एक तिहाई हिस्से पर मस्जिद बनाने के पक्ष में नहीं है। राम मंदिर हिन्दू समाज की आस्था है वहाँ पर राम मंदिर बनना चाहिए।सुरेश दास महंत दिगंबर अखाड़ा ने कहा कि मैं इनके प्रस्ताव का स्वागत करता हूंऔर इसको आगे बढ़ाएंगे।