खान मुबारक ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए है। अपराध की शुरूआत भी उसने इलाहाबाद से ही की थी। जहां एक क्रिकेट मैच के दौरान रनआउट दिए जाने पर उसने अंपायर को गोली मार दी थी।
इसके बाद वह जेल में अन्य अपराधियों के संपर्क में आया। एसटीएफ का कहना है कि खान मुबारक अपने भाई जफर सुपारी के जरिए अंडरवर्ल्ड सरगना छोटा राजन के गिरोह में शामिल हो गया। 2006 में इलाहाबाद में डॉक्टरों से रंगदारी मांगने पर उसके खिलाफ जार्जटाउन व सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज हुआ था।
2007 में जेल से छूटने के बाद इलाहाबाद में पोस्ट ऑफिस में लूट की घटना को अंजाम देने के दौरान उसके दो साथी क्रॉस फायरिंग में मारे गये और वह खुद भी गोली लगने से घायल हो गया। लेकिन वह मौके से भाग निकला।
2007 से 2012 तक वह इलाहाबाद, प्रतापगढ़, वाराणसी, बरेली की जेलों में रहा। बताया जाता है कि मुबारक ने 50 लाख रुपये लेकर छोटा राजन गिरोह के ओसामा की हत्या की थी।
2012 में जमानत के बाद मुबारक अम्बेडकरनगर स्थित अपने गांव हंसवर में रहने लगा। एसटीएफ के डीआईजी ने बताया कि जेल से छूटने के बाद मुबारक ने रंगदारी न देने पर ईंट भट्टा मालिक अईनुददीन की हत्या कर दी।