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यूपी में मचने जा रही पानी की त्राहि-त्राहि, 53 जिलों के 261 ब्लाकों में जलस्तर गिरा

उत्तर प्रदेश में भू जलस्तर तेजी से गिर रहा है। जिससे फसलों की सिंचाई में मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। आने वाले समय में सिंचाई के लिए पर्याप्त जल मिल सके और भूजल स्तर में सुधार हो सके। इस वास्ते सिंचाई की विशेष योजना के जरिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हें न केवल उपज बढ़ाकर समृद्ध बनने की सीख दी जा रही है, बल्कि जल को बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सूबे के 53 जिलों के 261 विकास खंडों में भूजल स्तर में भारी गिरावट आई है। जिसमें 111 अति दोहित, 68 क्रिटिकल और 82 ब्लाकों की सेमी क्रिटिकल जोन के रूप में पहचान की गई है। यह आंकड़ा लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल महकमे की ओर से जारी किया गया है।

फैजाबाद मंडल में अतिदोहित क्षेत्र नही 

फैजाबाद मंडल के जिले फैजाबाद के बीकापुर, तारुन, अंबेडकरनगर के भीटी, अमेठी के बहादुरपुर, अमेठी, गौरीगंज, जगदीशपुर, संग्रामपुर, शाहगढ़ और सुलतानपुर जनपद के दो विकास खंड भदैंया व दूबेपुर सेमी क्रिटिकल में हैं। अतिदोहित क्षेत्र मंडल में नहीं है। इन सभी क्षेत्रों में सिंचाई की ड्रिप और स्प्रिंकलर पद्धति की विशेष योजना शुरू की गई है। किसानों को इसके लाभ बताए जा रहे हैं। जिससे समय और जल दोनों की बचत होगी। साथ ही उत्पादकता में भी बढ़ोत्तरी होगी।
 स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई 

स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करने पर पानी सीधे पौधों की जड़ों में पहुंचता है। मेड़ व नालियां बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। पैदावार व फसल की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। इससे खर-पतवार भी नियंत्रित रहता है। जड़ में पानी पहुंचने के नाते परंपरागत उर्वरक के छिड़काव की पद्धति की तुलना में इस विधि में खाद की बचत होती है। 0.4 हेक्टेयर से लेकर 5 हेक्टेयर तक के किसानों को अलग-अलग अनुदान की व्यवस्था है। योजना के तहत जारी की जाने वाली धनराशि में लघु सिंचाई व सीमांत किसानों को पचास फीसद, अनुसूचित जाति को 21 व अनुसूचित जनजाति को 1 फीसद अनुदान देने के निर्देश हैं।

किसानों को पहुंचेगा लाभबागवानी, कृषि व गन्ना फसलों की सिंचाई के बाबत 2022 तक सूबे के 30 लाख किसानों को लाभ पहुंचाने की योजना है। टपक व बौछार सिंचाई पद्धति में लघु सीमांत कृषकों को 90 फीसद और अन्य किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाएगा। बोले अधिकारी जिला उद्यान अधिकारी मीना देवी व कृषि उप निदेशक शैलेंद्र शाही कहते हैं कि नई सिंचाई पद्धति से जल संरक्षण तो होगा ही साथ ही किसानों को फायदा होगा। सिंचाई उपकरण मुहैया कराने के लिए में  जो भी पात्र पाया जाएगा, सबको लाभान्वित किया जाएगा।