देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
अखिलेश सरकार में प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल विद्यालय के बच्चों को कोप्ता खिलाने की योजना लागू हुई थी। इसके बाद ऐसे तस्वीरें अखबारों व सोशल मीडिया की सुर्खियां बनीं जिसमें मास्टर साहब लौकी की तलाश में घूमते नजर आए। इन तस्वीरों के वायरल होने पर लोगों की हमदर्दी भी मिली। लेकिन इस तस्वीर के पीछे जो सच्चाई थी वह मास्टर साहब की चतुराई का लोहा मनवाने वाली थी। मास्टर साहब की ऐसी ही असलियत का खुलासा हुआ गोला तहसील क्षेत्र के जूनियर हाईस्कूल में। यहां एमडीएम पकवाने के लिए बच्चों को खुद राशन की व्यवस्था करनी पड़ती है।
कपरहा जूनियर विद्यालय में एमडीएम की खातिर बच्चों द्वारा राशन लाने की तस्वीर कोई नई बात नहीं। यहां तैनात मास्टर साहब केवल हाजिरी लगाने आते हैं। हाजिरी लगाने के बाद वह केवल फरमान जारी करते हैं। बच्चों को कुछ एक ककहरे पढ़ाने के बाद वह मनचाहा मिड डे मील बनवाते हैं। जब राशन खत्म हो जाता है तो खुद खाद्यान्न लाने की जहमत नहीं उठाते। सीधे तौर पर पढऩे आने वाले बच्चों को ही खाद्यान्न साइकिल से ढो लाने का फरमान जारी कर देते हैं। मंगलवार को इस विद्यालय के तीन बच्चों को खाद्यान्न लाने के लिए भेजा गया था। तीनों ही बच्चे चौथी क्लास के थे। स्कूल से दूर स्थित एक दुकान से उन्हें खाद्यान्न लाना था। तीनों बच्चे दुकान पर पहुंचे। करीब पचास किलो राशन खरीदा। जैसे-तैसे बोरी को कारियल पर रखा। भार अधिक होने की वजह से तीनों बच्चे साइकिल को खींच कर ले जाने को मजबूर हुए। पूछने पर बच्चों ने बताया कि मास्टर साहब अक्सर बच्चों को ही खाद्यान्न लाने को कह देते हैं।
इस संबंध में जब बीएसए से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। वह मामले की जांच कराएंगे। यदि शिक्षक द्वारा बच्चों से मिड डे मील का खाद्यान्न मंगवाए जाने की पुष्टि हुई तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।