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मुक्काबाज की रिलीज से पहले जिम्मी शेरगिल ने खोला ‘मुक्केबाज’ का राज, पढ़कर फिल्म देखने जरूर जाएंगे

मुकाबला, मोहब्बत और मुकाम.. इन्हीं तीन शब्दों के आसपास सिमटी है, एक छोटे शहर के मुक्काबाज की मुक्केबाज के पायदान पर पहुंचने की कहानी। जो बताती है कि खेल में कैसे ‘खेल’ होता है, लेकिन जब सपने साफ और इरादे मजबूत हों, वह कैसे पूरे होते हैं। ‘अमर उजाला संवाद उत्तराखंड उदय’ कार्यक्रम के दौरान ‘गांव, कस्बों का हिंदुस्तान और खेल प्रतिभा विषय’ के सत्र में फिल्म मुक्काबाज की टीम ने यह कहानी फिल्म अभिनेता और पटकथा लेखक विनीत कुमार, अभिनेत्री जोया हसन, अभिनेता जिम्मी शेरगिल और अर्जुन अवार्ड विजेता और बाक्सर अखिल कुमार ने सुनाई।

कहानी सुनाने के साथ-साथ अभिनेता जिम्मी शेरगिल ने उत्तराखंड में फिल्मों की शूटिंग बढ़ाने के लिए सड़कों की हालत को बेहतर करने की सलाह भी दी, बोले सड़क  अच्छी होंगी तो फिल्म इंडस्ट्री खुद चलकर उत्तराखंड आएगी।

‘मुक्काबाज’ और ‘मुक्केबाज’ में है बहुत अंतर

जब एंकर ऋचा अनिरुद्ध के सवालों के बीच बात ‘मुक्काबाज’ और ‘मुक्केबाज’ के अंतर की आई तो कलाकार विनीत कुमार बोले, जब बाक्सर को कमतर बताना होता है, तो उसे मुक्काबाज कहा जाता है, कुछ यही फिल्म की कहानी में भी है।

वहीं, इसी सवाल के जवाब में बाक्सर अखिल कुमार ने कहा कि मुक्काबाज का एक पंच और मुकाबला खत्म हो जाता है। इन्हीं सवाल-जवाबों के साथ संवाद आगे बढ़ा और उत्तराखंड में खेल की सुविधा और संसाधनों पर बात आई।

बाक्सर अखिल कुमार कहते हैं कि उत्तराखंड से कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन किया, उसमें कई बाहर जाकर खेलते हैं। अगर, यहां पर राष्ट्रीय स्तर के कैंप का आयोजन हो और संसाधनों को बढ़ाया जाए तो खिलाड़ियों की संख्या बढ़ेगी।

लड़कियों को मिले मौका तो छू लेंगी आसमान

विनीत बताते हैं कि मुक्काबाज की कहानी उन्होंने प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचने और फिर गुमनानी में गुम होने वाले खिलाड़ियों की जिंदगी से प्रेरित होकर लिखी है। इसमें बताने की कोशिश की गई है कि कैसे एक खिलाड़ी के सामने चुनौती आती है और फिर भी वो आगे बढ़ता है।

फिल्म में विलेन ‘भगवान दास मिश्रा’ की भूमिका निभा रहे जिम्मी शेरगिल कहते हैं कि विलेन होना जरूरी है, जब विलेन होगा तभी तो हीरो बनेगा। फिल्म में सामाजिक संदेश भी देने की कोशिश की गई है।

इस हिंदी फिल्म से डेब्यू कर रहीं अभिनेत्री जोया हुसैन कहती हैं कि फिल्म में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौती, उनके आत्मविश्वास, उनके प्रेम के साथ आगे बढ़ने की कहानी है। बता दें कि मुक्काबाज फिल्म 12 जनवरी को रिलीज हो रही है।