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मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमले की सुनवाई को लेकर, पाक के रवैये से नाराज भारत, दे सकता है झटका…

नई दिल्ली : मुंबई हमले की सुनवाई कर रहे पाकिस्तान की अदालत को भारत झटका दे सकता है। इस मामले में पाकिस्तानी कोर्ट द्वारा की जा रही लगातार देरी तथा मुंबई हमले के 24 भारतीय गवाहों को पाकिस्तानी अधिकारियों के सामने पेश करने की जिद के बाद यह सुनवाई बिना किसी नतीजे के खत्म होती दिख रही है। 

पाकिस्तान की अदालत मुंबई हमले में 24 भारतीय गवाहों से पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा पूछताछ करवाना चाहती है। इसके बिना वह आगे बढ़ने को तैयार नहीं है। दूसरी तरफ भारत गवाहों को पाकिस्तान भेजने पर शायद ही तैयार हो। भारत का मानना है कि पाकिस्तान 26/11 हमले की सुनवाई को लेकर गंभीर नहीं है और उसे किसी तार्किक परिणाम तक नहीं पहुंचाना चाहता है। 

पिछले सप्ताह यूरोपीय यूनियन के साथ जारी संयुक्त बयान में भारत ने 26/11 के आरोपियों को सजा दिलाने की बात दोहराई थी। एक भारतीय अधिकारी ने कहा था कि इस हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद पाकिस्तान सरकार की सुरक्षा में मजे से घूम रहा है। भारत ने हाफिज के बारे में पाकिस्तान को पुख्ता सबूत सौंपे थे, बावजूद इसके वह खुला घूम रहा है।’

भारत मुंबई हमले की सुनवाई के लिए सभी 24 गवाहों को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपलब्ध कराने पर विचार की बात कह चुका है, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से इस बारे में कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है। पाकिस्तानी अदालत इस मामले में लश्कर चीफ जकीउर रहमान लखवी समेत 7 लोगों के खिलाफ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पिछले महीने FIA को इस मामले के सभी गवाहों को पेश करने का आदेश दिया था। लखवी के अलावा अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हामिद अमीन सादिक, शहीद जमीन रियाज, जमील अहमद और युनूस अंजुम पर हत्या, हत्या के प्रयास और 2008 के मुंबई हमलों को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है। 

भारत इस मामले में पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि मुंबई हमले पर पर्याप्त सबूत पाकिस्तान को सौंपे गए हैं। जिसके बिना पर वह 26/11 के आरोपियों को सजा दे सकता है। मुंबई हमले पर पिछले 8 साल से सुनवाई चल रही है। पाकिस्तान द्वारा जजों के लगातार ट्रांसफर की वजह से इसकी सुनवाई में देरी हो रही है। पिछले 8 साल में इस केस में 9 जजों का तबादला किया जा चुका है। पाकिस्तानी कोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय गवाहों को यहां लाने का यह अंतिम प्रयास है। अगर गवाह पेश नहीं होते हैं तो कोर्ट भारतीय गवाहों का बयान दर्ज किए बिना ही फैसला सुना सकता है।