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मिलिए भारत के सिद्ध पुरुष काँटों वाले बाबा से, इनका बिछौना देखकर काँप जाएगी आपकी रूह

भारत एक बड़ा ही विचित्र देश है। प्राचीनकाल से ही इस देश को साधू-संतों और धर्म का देश माना जाता रहा है। यहाँ की पवित्र धरती पर कई महान साधू-संतों ने जन्म लिया और लोगों को अच्छाई का पाठ पढ़ा गए। इन्ही साधुओं ने हिन्दू धर्म का प्रचार पूरी दुनिया में किया, जिसकी वजह से आज हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं। सिद्धि प्राप्त किये हुए इन साधुओं के कारनामें देखकर कई बार आपको अपनी आँखों पर भी यकीन नहीं होगा।

देश में कई तरह के साधू-महात्मा है। हालांकि इन्ही में से कुछ फर्जी बाबा भी हैं, जो भोले-भाले लोगों को अपने धर्म के झांसे में लेकर उनका शोषण करते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी लोगों का बाबाओं पर से विश्वास पूरी तरह उठा नहीं है। आज के समय में भी कई ऐसे संत-महात्मा हैं, जिन्हें इस संसार के मोह-माया से कोई मतलब नहीं है। वह ईश्वर की भक्ति करके प्रसन्न रह लेते हैं। लोगों के अनुसार कुछ साधू-महात्मा आज भी हिमालय की गुफाओं में रहकर साधना कर रहे हैं।इलाहबाद को संगम नगरी के नाम से जाना जाता है। यहाँ हर साल माघ के महीने में मेला लगता है। यहाँ माघ के महीने में गंगा की पवित्र धारा में गोते लगाने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से कई तरह के साधु-सन्यासी आते हैं। कुछ लोग यहाँ पुण्य कमाने के लिए आते हैं तो कुछ अपना पाप उतारने के लिए आते हैं। इस बार माघ मेले में संगम नगरी में एक कांटों वाले बाबा भी आये हैं। उन्हें कांटों की शैय्या पर लेटा देखकर हर किसी के मुँह से आह शब्द ही निकलता है।काँटों की शैय्या पर सोने की सिद्धि प्राप्त कर चुके रामा बाबा को लोग अब कांटों वाले बाबा के नाम से जानने लगे हैं। आपको बता दें कांटों वाले बाबा का असली नाम बाबा लक्षण राम है। यह आगरा के रहने वाले हैं। इन्होने अपने बारे में बताया कि, “18 साल की उम्र में गलती से गौहत्या का पाप लग गया। उसके बाद से इस तरह से उसका प्रायश्चित करने की कोशिश कर रहा हूँ। दर्द होता है, लेकिन सहन कर लेता हूँ। माघ और कुम्भ मेले में हर साल यहाँ आता हूँ।“

उन्होंने आगे बताया कि जो लोग चढ़ावे में चढ़ाते हैं, उसका इस्तेमाल मथुरा में गायों की देख-रेख पर खर्च किया जाता है। इसके साथ ही वो भंडारा भी चलाते हैं। इस बार वो 6 दिन पहले संगम नगरी आये थे और मौनी अमावस्या पर अक्षयवट मार्ग पर पहले दिन लेते थे। कांटों वाले बाबा ने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में जहाँ बड़ा धार्मिक आयोजन होता है, वहाँ वह जाते हैं। प्रत्यक्ष दर्शी रमेश ने बताया कि, मौनी अमावस्या पर परिवार के साथ गंगा स्नान के लिए आया था, यहाँ बाबा को कांटों के बिस्तर पर सोता देख हैरान हो गया।