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मकर संक्रांति विशेष: क्या है धार्मिक महत्व…जानिए क्या है आपकी राशि  के अनुसार से क्या करें दान?

अध्यात्म डेस्क| 

काशी पंचांग के अनुसार भगवान्  भास्कर दिनांक 14 जनवरी 2018 दिन रविवार को रात्रि 7 बजकर 35 मिनट पर धनु राशी से मकर राशी में प्रवेश कर जायेंगे I धर्मशास्त्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद लगने वाली संक्रांति का पुण्यकाल दुसरे दिन मध्यान्ह काल तक रहता है अतः मकरसंक्रांति दिनांक 15जनवरी 2018 को सर्वत्र अपनी –अपनी विविध परम्पराओं के साथ मनाया जायेगा. इसीदिन भगवान् भास्कर उत्तरापथ्गामी हो जायेंगे I इस विषय पर अधिक जानकारी दे रहे हैं आचार्य राजेश…

सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना,आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। 

इस दिन दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है

माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।

स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

 

पौराणिक बातें

  • मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके  घर जाते हैं।
  • द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन को ही चुना था।
  • उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता में कहा गया है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है।
  • इसी दिन भागीरथ के तप के कारण गंगा मां नदी के रूप में पृथ्वी पर आईं थीं। और राजा सगर सहित भागीरथ के पूर्वजों को तृप्त किया था।
  • वेदशास्त्रों के अनुसार, प्रकाश में अपना शरीर छोड़नेवाला व्यक्ति पुन: जन्म नहीं लेता, जबकि अंधकार में मृत्यु प्राप्त होनेवाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है। यहाँ प्रकाश एवं अंधकार से तात्पर्य क्रमश: सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायन स्थिति से ही है। संभवत: सूर्य के उत्तरायण के इस महत्व के कारण ही भीष्म ने अपना प्राण तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मकर संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। सूर्य के उत्तरायण का महत्व उपनिषद में भी किया गया है।

 

करें घर में ‘धन लक्ष्मी’ के  स्थाई निवास हेतु ‘विशेष पूजन’

मकर संक्रांति के दिन या दीपावली के दिन सर्वत्र विद्यमान, सर्व सुख प्रदान करने वाली माता “महाँ लक्ष्मी जी” का पूजन पुराने समय में हिन्दू राजा महाराजा करते थे । हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम चाहते हैं की आप सभी मित्र अपने-अपने घरों में सपरिवार इस पूजा को करके माँ को श्री यंत्र के रूप में अपने घर में पुनः विराजमान करें।यह पूजन समस्त ग्रहों की महादशा या अन्तर्दशा के लिए लाभप्रद होता है।

|इस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करने से “सहस्त्ररुपा सर्व व्यापी लक्ष्मी” जी सिद्ध होती हैं|

इस पूजा को सिद्ध करने का समय दिनांक 14 जनवरी 2018 को रात्रि 11.30 बजे  से सुबह 02.57बजे  के मध्य किया जायेगा।  इस पूजन का विस्तृत विशेष पूजन अग्रिम लेख में प्राप्त होगा I

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

  • मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससेतमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का महत्व बहुत है।
  • मकर संक्रांति में उत्तर भारत में ठंड का समय रहता है। ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करने के बारे में विज्ञान भी कहता है। ऐसा करने पर शरीर को ऊर्जा मिलती है। जो सर्दी में शरीर की सुरक्षा के लिए मदद करता है।
  • इस दिन खिचड़ी का सेवन करने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। इसमें अदरक और मटर मिलाकर बनाने पर यह शरीर को रोग-प्रतिरोधक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
  • वेदशास्त्रोंके अनुसार, प्रकाश में अपना शरीर छोड़नेवाला व्यक्ति पुन: जन्म नहीं लेता, जबकि अंधकार में मृत्यु प्राप्त होनेवाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है। यहाँ प्रकाश एवं अंधकार से तात्पर्य क्रमश: सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायन स्थिति से ही है। संभवत: सूर्य के उत्तरायण के इस महत्व के कारण ही भीष्म ने अपना प्राण तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मकर संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। सूर्य के उत्तरायण का महत्व छांदोग्य उपनिषद में भी किया गया है।
  • इसप्रकार स्पष्ट है कि सूर्य की उत्तरायण स्थिति का बहुत ही अधिक महत्व है। सूर्य के उत्तरायण होने पर दिन बड़ा होने से मनुष्य की कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है जिससे मानव प्रगति की ओर अग्रसर होता है। प्रकाश में वृद्धि के कारण मनुष्य की शक्ति में भी वृद्धि होती है
  • वेदशास्त्रोंके अनुसार, प्रकाश में अपना शरीर छोड़नेवाला व्यक्ति पुन: जन्म नहीं लेता, जबकि अंधकार में मृत्यु प्राप्त होनेवाला व्यक्ति पुन: जन्म लेता है। यहाँ प्रकाश एवं अंधकार से तात्पर्य क्रमश: सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायन स्थिति से ही है। संभवत: सूर्य के उत्तरायण के इस महत्व के कारण ही भीष्म ने अपना प्राण तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मकर संक्रांति अर्थात सूर्य की उत्तरायण स्थिति नहीं आ गई। सूर्य के उत्तरायण का महत्व छांदोग्य उपनिषद में भी किया गया है।
  • पंजाबऔर हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • इसलिएइस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है|

अपनी राशि  के अनुसार करें दान

मकर संक्रांति परसूर्य का प्रवेश मकर राशी  में होता है औरइसका हर राशि पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपके द्वारा किया जाने वाला कौन सा दान फलदायी साबित होगाI

 मेष- राशि के लोगों को गुड़, चिक्की , तिल का दान देना चाहिए।

वृषभ- राशि के लोगोंके लिए सफेद कपड़े और सफ़ेद तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।

 मिथुन -राशि के लोग मूंग दाल, चावल और कंबल का दान करें।

 कर्क -राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।

 सिंह- राशि के लोगों को तांबा और सोने के मोतीदान करने चाहिए।

कन्या -राशि केलोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।

तुला- राशि केजातकों को हीरे, चीनी या कंबल का देना चाहिए।

 वृश्चिक –राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा और काला   तिल दान करना चाहिए।

धनु –राशि के जातकोंको वस्‍त्र, चावल, तिल और गुड़ का दान करना चाहिए।

 मकर -राशि के लोगों को गुड़, चावल और तिल दान करने चाहिए।

 कुंभ –राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी और तिल का दान चाहिए।

मीन- राशि के लोगोंको रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल और तिल दान देने चाहिए।