नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापा यात्रा के दौरान बेहद अहम सिविल न्यूक्लियर डील समझौते पर मुहर लग गई है।
दुनिया में ऐटमी अटैक झेलने वाला एकमात्र देश जापान ने पहली बार किसी ऐसे देश के साथ न्यूक्लियर डील की है, जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर साइन नहीं किए हैं। 11 नवंबर को ही विएना में न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की मीटिंग होनी है जिस में ग्रुप में भारत की एंट्री का मुद्दा उठने के आसार हैं। चीन ने भारत की एंट्री में अड़ंगा लगा रखा है।
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जापान के साथ सिविल न्यूक्लियर डील पर समझौते की जानकारी दी। दिसंबर 2015 में जापान के पीएम शिंजो अबे भारत आए थे तभी दोनों देशों ने सिविल न्यूक्लियर अग्रीमेंट का फैसला किया था। भारत अब तक अमेरिका समेत 11 देशों के साथ सिविल न्यूक्लियर डील कर चुका है लेकिन जापान से डील खास होगी। न्यूक्लियर एनर्जी प्लांटों में सेफ्टी के लिहाज से जापान के इंतजामों को दुनिया में बेहतरीन माना जाता है। फुकुशिमा में न्यूक्लियर प्लांट में हादसे के बाद जापान में ऐटमी ऊर्जा को लेकर राय बहुत अच्छी नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तोक्यो में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जापान और भारत के बीच समझौते से इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व आएगी। मोदी ने जापानी पीएम को NSG में भारत की सदस्यता के समर्थन के लिए भी धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने भारत-जापान के बीच हुए सिविल न्यूक्लियर समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह दोनों देशों के बीच मजबूती को दर्शाता है। मोदी ने कहा कि दोनों देश आपसी फायदे के लिए तकनीक, वित्तीय क्षेत्र में एक दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठाएंगे।