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भारतीय कंपनियों के लिए यूरोप की सीढ़ी है तुर्की!

New Delhi : तुर्की के विदेश आर्थिक संबंध बोर्ड का मानना है कि भारतीय कंपनियां तुर्की में निवेश कर यूरोपीय बाजार तक आसानी से पहुंच बना सकती हैं।

img_20170502160403तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन के साथ भारत यात्रा पर आये डीईआईके के अध्यक्ष ओमर चिहाद वर्दन ने कहा, “हमें दोनों देशों में आपसी निवेश बढ़ाना है। भारतीय कंपनियों को तुर्की को यूरोप की सीढ़ी के तौर पर देखना चाहिए। भारत से सीधे यूरोप को निर्यात करने में कभी-कभार दिक्कतें आ सकती हैं। चूंकि यूरोप के साथ हमारा कस्टम यूनियन है, तुर्की में स्थित कंपनियों के लिए वहां विनिर्माण कर यूरोप को निर्यात करना काफी आसान होगा।

इस प्रकार तुर्की भारतीय कंपनियों के लिए यूरोप का रास्ता साबित हो सकता है।” उन्होंने कहा कि तुर्की को सिर्फ एकल बाजार के रूप में नहीं देखना चाहिए। निवेशक कंपनियों को इसके आसपास के बाजार में भी अवसर तलाशने चाहिए, विशेषकर यूरोप में। वर्दन ने कहा कि भारतीय कंपनियों के लिए ऑटोमोटिव उद्योग, कपड़ा उद्योग, दवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र तथा निर्माण क्षेत्र में काफी अवसर हैं। निवेश के माहौल के बारे में उन्होंने कहा, “हमारी सरकार की ओर से कई प्रोत्साहन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षाें में यदि निवेश के माहौल में कोई बदलाव आया है तो वह सकारात्मक बदलाव है। फिलहाल हम नई कंपनियों को ज्यादा प्रोत्साहन दे रहे हैं। अन्य कंपनियों के लिए, जैसे ही वे तुर्की में काम करना शुरू करती हैं और वहां पंजीकरण कराती है, हम उन्हें तुर्की की कंपनी का दर्जा देते हैं। उन्हें वे सारे अधिकार मिल जाते हैं जो किसी घरेलू कंपनी को मिलते हैं।”

 

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