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भाजपा ने दीपावली से पहले ही किया, अपने ‘कमांडर’ शाह के निर्देश का पालन

भाजपा ने दीपावली से पहले अपने कमांडर अमित शाह के निर्देश का पालन कर लिया है। पार्टी के 23 संगठनात्मक जिले अब इतिहास का हिस्सा हो गए हैं। 14 नए संगठनात्मक जिले सामने हैं।
जिन पर संगठनात्मक मजबूती का खाका भाजपा नए सिरे से खींच देना चाहती है। हालांकि हरिद्वार की गुत्थी अभी सुलझी नहीं है। यहां पर कमान किसके हाथ में होगी, यह तय होना बाकी है। इन स्थितियों के बीच, भाजपा ने संगठनात्मक जिलों के पुनर्गठन में न्यूनतम जोखिम उठाया है।

यही कारण है कि ज्यादातर जिलों में निवर्तमान जिलाध्यक्षों को मौका दिया गया है। उत्तरकाशी, देहरादून महानगर और चंपावत जैसे जिले जरूर अपवाद बनकर उभरे हैं। इन जिलों में नेतृत्व के लिए पार्टी नए चेहरों को सामने लेकर आई है। हालांकि भाजपा का नेतृत्व खुद भी मुतमईन नहीं है कि संगठनात्मक जिलों के पुनर्गठन के बाद उसके कुनबे में शांति बनी रहेगी।

पिथौरागढ़ के जिला महामंत्री रहे रामदत्त जोशी को कमान दी

यह पहले से तय माना जा रहा था कि भाजपा जिलों के पुनर्गठन में चुनाव के विकल्प पर आगे बढे़गी। राष्ट्रीय सह महामंत्री संगठन सौदान सिंह का प्रवास खत्म होते ही भाजपा की 13 जिलों की सूची सामने आ गई। भाजपा ने अप्रत्याशित तौर पर चंपावत में पिथौरागढ़ के जिला महामंत्री रहे रामदत्त जोशी को कमान दे दी है।

देहरादून महानगर अध्यक्ष रहे उमेश अग्रवाल की जगह प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल को जिलाध्यक्ष बना दिया गया है। उमेश अग्रवाल धर्मपुर सीट पर भाजपा के टिकट के दावेदार रहे थे। अब नगर निगम देहरादून के मेयर पद के टिकट की दौड़ में हैं। इसी तरह, उत्तरकाशी में भाजपा नेतृत्व श्याम डोभाल के तौर पर नया चेहरा सामने लाई है।

यहां पर न तो उत्तरकाशी और न ही पुरोला के निवर्तमान जिलाध्यक्षों में से किसी पर भरोसा किया गया है। तस्वीर का दूसरा पहलू देखा जाए, तो पिथौरागढ़, नैनीताल, बागेश्वर, ऊधमसिंहनगर, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, अल्मोड़ा, देहरादून जैसे जिलों में निवर्तमान जिलाध्यक्षों को ही मौका दिया गया है।

एडजस्ट होंगे हटाए गए भाजपा पदाधिकारी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के सामने अब हटाए गए पदाधिकारियों के एडजस्टमेंट का दबाव है। यही कारण है कि नई सूची जारी होते ही भट्ट ने यह बयान भी दिया है कि पदाधिकारियों को एडजस्ट किया जाएगा।

दरअसल, 23 की जगह 14 जिले बनने के बाद एक झटके में नौ जिलाध्यक्ष पैदल हो गए हैं। भाजपा अब उन्हें सरकार के किसी दायित्व से लेकर प्रदेश संगठन या फिर निकाय चुनाव के दौरान किसी न किसी रूप में एडजस्ट कराने का भरोसा दिला रही है।

हरिद्वार का घमासान, नहीं सब कुछ आसान
भाजपा के सामने अब सबसे बड़ी मुश्किल हरिद्वार संगठनात्मक जिले को लेकर है। इस जिले से भाजपा के तीन दिग्गजों का सीधा वास्ता है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और मदन कौशिक हैं।

कह सकते हैं कि संगठन के समीकरण इस जिले में सबसे ज्यादा उलझे हुए हैं, जहां पर पार्टी इन तीन दिग्गजों के बीच फंसी हुई है। इनमें से निशंक और कौशिक इन दिनों गुजरात चुनाव की ड्यूटी में व्यस्त है। भाजपा नेतृत्व ने हरिद्वार के मामले में कोई फैसला न होने का औपचारिक आधार इस बात को ही बनाया है। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि सभी वरिष्ठ नेताओं की सहमति से ही नया जिलाध्यक्ष तय किया जाएगा।