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बड़ीखबर: LDA की दसवीं मंजिल पर VIP लिफ्ट में फंसे नए सचिव

एलडीए का निरीक्षण करने निकले नवागत सचिव एमपी सिंह नई बिल्डिंग की लिफ्ट में फंस गए। खास यह कि सचिव जिस लिफ्ट में फंसे वह वीआईपी लिफ्ट वरिष्ठ अधिकारियों की सुविधा के लिए नई इमारत में लगाई गई है। इससे सचिव को भी प्राधिकरण की हालत का अंदाजा हो गया।

सचिव लिफ्ट में उस समय फंसे जब वह नौवीं मंजिल से 11वीं मंजिल पर बने एलडीए के मीटिंग हॉल को देखने के लिए जा रहे थे। 10वीं मंजिल से निकलते ही लिफ्ट फंस गई। अलार्म बजाने और तकनीकी स्टाफ को फोन करने के बाद लिफ्ट को खोला जा सका।

हालांकि महज पांच से सात मिनट में लिफ्ट खुल गई, लेकिन यह समय अधिक  भी हो सकता है। लिफ्ट के वीआईपी होने के बाद भी इमरजेंसी रेस्क्यू सिस्टम नहीं लगा हुआ था, जिससे नजदीकी मंजिल पर जाकर लिफ्ट नहीं खुली। इससे नाराज सचिव ने अनुरक्षण अनुभाग से प्राधिकरण की सभी लिफ्टों की देखरेख के लिए अनुबंध और भुगतान की सूचना दिखाने के आदेश कर दिए।

इस संबध में एलडीए सचिव एमपी सिंह ने कहा कि लिफ्ट फंसने के पीछे कोई तकनीकी वजह हो सकती है। लिफ्ट को खुद ही नजदीकी तल तक पहुंचकर खुल जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह मेंटेनेंस में लापरवाही का नतीजा है। ऐसी लापरवाही बंद कराई जाएगी।

दो माह पहले वीसी भी फंस चुके
एलडीए में लिफ्ट फंसने का यह नया मामला नहीं है। खुद वीसी प्रभु एन सिंह भी पिछले 12 सितंबर को पुरानी बिल्डिंग की लिफ्ट में फंस गए थे। बीच में ही लिफ्ट चोक हो जाने के कारण उन्हें कूदकर बाहर निकलना पड़ा था, जबकि उनके साथ मौजूद एक्सईएन तिवारी को पैर में दिक्कत होने के कारण कुर्सी लगाकर लिफ्ट से बाहर निकाला गया था।

अपने ही दफ्तर का टूटा मिला ताला

एलडीए के नवागत सचिव एमपी सिंह ने सोमवार को प्राधिकरण का निरीक्षण किया। इस दौरान खामियों का अंबार देख उनका माथा ठनक गया। सचिव का गुस्सा तब आपे से बाहर हो गया जब नई बिल्डिंग स्थित उन्हीं के दूसरे कार्यालय का ताला टूटा मिला।

नाराज सचिव ने जिम्मेदार कर्मचारी को फटकार लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी डे डाली। यही नहीं अब तक तीन बार आग लगने के बावजूद आग से सुरक्षा के उपकरण भी बंद मिले।

एलडीए वीसी की तरह ही सचिव के भी प्राधिकरण में दो कक्ष हैं। सचिव इस समय पुरानी बिल्डिंग स्थित कक्ष में बैठ रहे हैं। सोमवार को जब नवागत सचिव निरीक्षण के लिए नई बिल्डिंग पहुंचे तो नौवीं मंजिल पर बने उनके दूसरे कार्यालय का ताला टूटा मिला।

इससे भड़के नवागत सचिव ने जिम्मेदार स्टाफ के खिलाफ एफआईआर तक कराने की चेतावनी दे डाली। उनका कहना था कि सरकारी भवन में एक अधिकारी के कमरे का ताला बिना किसी की जानकारी के कैसे तोड़ दिया गया?

वहीं उनके कार्यालय को लंबे समय से साफ ही नहीं किया गया था। पहले ही निरीक्षण में सचिव को पता चल गया कि एलडीए में अभी बहुत कुछ ठीक करना बाकी है।

निरीक्षण में मिलीं ये खामियां 
– अग्निसुरक्षा के उपाय ठीक नहीं मिले
– छठवें तल पर नई बिल्डिंग में काफी हिस्से में फॉल सीलिंग टूटी मिली
– पुरानी बिल्डिंग में गंदगी काफी मात्रा में मिली
– कुछ स्टाफ सचिव को ऐसा मिला जिसके पास कोई काम ही नहीं था
– सचिव के नई बिल्डिंग में कक्ष में गंदगी और ताला टूटा हुआ मिला
– फाइलों और दूसरे रिकॉर्ड रखने के इंतजाम सही नहीं मिले
– 9वीं, 10वीं, 11वीं मंजिल की चाभियां ही गुम मिलीं

नए सचिव के सामने ये चुनौतियां

– नई योजना लाने के लिए लैंडबैंक की कमी
– एलडीए की जमीनों पर भू-माफिया के कब्जे
– सुविधा शुल्क का दबाव बनाने के लिए फाइलें लंबित करने की कार्यशैली
– अवैध निर्माण और आवासीय में व्यावसायिक उपयोग खुलेआम चल रहे
– कमीशनखोरी ने फ्लैटों की कीमतें बढ़ाईं जोकि अब बिक नहीं रहे
– विवादित भूखंडों के निबटारे के लिए योजनातबादले पर सीयूजी करना होगा वापस 
एलडीए में अधिकारियों और इंजीनियर्स के तबादले या जोन में बदलाव के बाद वे सीयूजी नंबर साथ लेकर ही चले जाते हैं। इस परंपरा को खत्म करने के लिए सचिव एमपी सिंह ने खत्म करने के लिए आदेश किया है। उन्होंने कहा है कि जिला प्रशासन की तरह सीयूजी नंबर अधिकारी नहीं बल्कि पदनाम से स्वीकृत होना चाहिए।

ऐसे में जोन-1 के एक्सईएन का नंबर वही रहेगा भले ही इस पद पर बैठा अधिकारी बदल जाए। इसी तरह संयुक्त सचिव, सचिव के भी नंबरों की सीयूजी हमेशा वही रहेगी। किसी भी अधिकारी के पदनाम से जारी नंबर को नहीं बदला जाएगा। सचिव का कहना है कि इससे पब्लिक को अपने अधिकारी से संपर्क करना आसान होगा।

रोजाना होगी एक विभाग के स्टाफ की बैठक
सचिव एमपी सिंह ने कहा कि मेरा तरीका एकदम साफ है। अभी आराम से कार्यशैली सुधारने के लिए कह रहा हूं। बाद में स्टाफ को खुद ही अपनी कार्यशैली सुधारने के लिए मजबूर कर दूंगा। काम सभी को करना होगा। जब प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री खुद सफाई की जिम्मेदारी ले सकते हैं तो एलडीए के अधिकारियों और स्टाफ को भी काम करना ही होगा। अब रोजाना एक विभाग के स्टाफ की बैठक होगी, जिसमें उन्हें उनके काम और लक्ष्यों के बारे में बता दिया जाएगा।