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प्लास्टिक के नोट छापने की वजह ये है

2000-rupees-notesनई दिल्ली: 8 नवंबर को विमुद्रीकरण के फैसले के बाद देश में अब प्लास्टिक करेंसी आने को तैयार है। इस बात की जानकारी लोकसभा में शुक्रवार (9 दिसंबर) को वित्त मंत्रालय ने दी। बताया गया कि इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। तो आईए आपको बताते हैं कि इस प्लास्टिक करेंसी के क्या-क्या फायदे नुकसान है। यह निर्णय लिया गया है कि बैंक नोट प्लास्टिक या पॉलिमर सब्सट्रेट पर छापे जाएंगे। वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को सदन में जानकारी दी कि खरीदी की प्रकिया शुरू कर दी गई है।बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में पहली बार जाली नोटों को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया में प्लास्टिक नोट जारी किए गए थे। वहीं भारत में इससे पहले कोच्चि, मैसूर, जयपुर,शिमला और भुवनेश्वर में फील्ड ट्रायल किया जा चुका है। गौरतलब है कि 2014 में ही सरकार ने प्लास्टिक नोट छापने का इरादा लोकसभा में जाहिर किया था।

ये हैं फायदे
प्लास्टिक करेंसी का जाली नोट बना पाना मुश्किल तो ही साथ में इसके सिक्योरिटी फीचर्स की मदद से इसे आसानी से वेरिफाई किया जा सकता है।
प्लास्टिक नोट्स की लंबे समय तक चलती हैं, जिसके चलते इनकी रिप्लेसमेंट कॉस्ट कम होती है।
नोट साफ सुथरी बनी रहती है क्योंकि ये गंदगी और नमी से बची रहती हैं।
प्लास्टिक नोट वाटरप्रूफ होते हैं।
इन नोटों के लंबे समय तक चलने से पर्यावरण को खास नुकसान नहीं होता है।
 ये हैं इसके नुकसान
प्लास्टिक नोट बनाने का सबसे बड़ा नुकसान है कि इसे छापने की लागत ज्यादा होती है।
इसे मोड़ कर जेब या वॉलेट में रखने में दिक्कत होती है।
ये नोट ज्यादा फिसलती हैं इसलिए इन्हें गिनने में दिक्कत होती है।
नए नोटों के हिसाब से एटीएम के कैलीब्रेट की जो समस्या फिलहाल हमारे सामने है, वहीं समस्या इन नोटों के चलन में आने के बाद आएगी। इससे एटीएम को रिकैलीब्रेट करने में खासा खर्चा आएगा।
 

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