इस बात की जानकारी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दी है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि पेट्रोल पंपों और बैंकों के बीच उठा यह मुद्दा सुलझा लिया जाएगा। प्रधान ने स्पष्ट किया कि डिजिटल ट्रांजैक्शन पर न ग्राहक और न ही पेट्रोल पंपों को कोई अतिरिक्त चार्ज देना होगा।
प्रधान ने बताया कि सरकार फरवरी 2016 में जारी दिशानिर्देश का पालन करेगी। इसमें कहा गया है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूला जाएगा। पेट्रोल पंपों पर ट्रांजैक्शन फी के मुद्दे पर पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि यह बैंकों और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के बीच का बिजनेस मॉड्युल है जिसे सुलझा लिया जाएगा।
इससे पहले पेट्रोल पंपों ने रविवार देर रात डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भुगतान स्वीकार न करने के अपने फैसले पर अमल 13 जनवरी तक टाल दिया था। बैंकों की ओर से उपभोक्ताओं के बजाय पेट्रोल पंपों पर ट्रांजेक्शन चार्ज लगाने के विरोध में पेट्रोल पंप मालिकों ने यह फैसला किया था।
गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कार्ड से पेट्रोल-डीजल की खरीद पर उपभोक्ताओं से वसूला जाने वाला मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) को खत्म कर दिया था।
लेकिन, नोटबंदी की 50 दिनों की अवधि खत्म होने के बाद बैंकों ने एमडीआर पेट्रोल पंप मालिकों पर लगाने का फैसला किया है। वैसे बैंकों के इस फैसले से सीधे उपभोक्ताओं पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा।
अखिल भारतीय पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने कहा कि बैंकों ने 16 दिसंबर 2016 के आरबीआई के सर्कुलर का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश इस सर्कुलर में क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले चार्ज या उपभोक्ताओं से इस चार्ज को नहीं वसूलने के बारे में कोई जिक्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर एक निश्चित राशि पेट्रोल पंपों को कमीशन के रूप में मिलती है और उनके पास इस चार्ज को समायोजित करने की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि क्रेडिट कार्ड मशीन प्रदाता बैंक बकाया राशि का भुगतान करने में भी देरी लगाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोल पंपों पर एमडीआर थोपने से डीलर नुकसान में चले जाएंगे। डीलर संघों का कहना है कि सारे खर्च और लागत निकालने के बाद उन्हें 0.3 से 0.5 फीसदी का मुनाफा होता है। गौरतलब है कि देश के 56,190 पेट्रोल पंपों में से करीब 52 हजार पर स्वाइप मशीनें लगी हैं, जिनमें से 60 फीसदी इन्हीं तीन बैंकों की हैं।