बेंगलुरु : पीएम मोदी उद्यमिता को बढ़ावा देने और उसके अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए स्टार्टअप इंडिया को लेकर कई घोषणाएं कर चुके हैं। लेकिन उनकी उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। स्टार्टअप इंडिया की फंडिंग में पिछले साल की तुलना में बड़ी गिरावट आई है। इस साल स्टार्टअप्स की फंडिंग करीब-करीब आधी कम हो गई है। स्टार्टअप इंडिया को पिछले साल 2015 में करीब 51,555 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी, जबकि इस साल 3.8 बिलियन डॉलर (करीब 25,777 करोड़ रुपये) का फंड मिला। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि निवेशक ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहतेय़ आंकड़े बताते हैं कि 2015 में 9,462 से ज्यादा स्टार्टअप्स की स्थापना हुई थी जिनमें गैर-तकनीकी क्षेत्र में काम करनेवाली कंपनियां भी शामिल हैं, वहीं इस साल महज 3,029 स्टार्टअप्स ही शुरू हो पाए। पिछले साल शुरु हुए स्टार्टअप्स तेजी से बंद होने की कगार पर हैं। अब तक 212 स्टार्टअप्स बंद हो चुके हैं।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, स्टार्टअप की निगरानी करने वाली संस्था Tracxn के आंकड़े के मुताबिक, फंडिंग न होने के चलते इस साल लगी स्टार्टअप्स कंपनियों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। दरअसल, वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स फंडिंग में मंदी का माहौल देखा जा रहा है। टेक्नॉलजी फंडिंग में कमी आने की वजह से तेजी से बढ़ रहे स्टार्टअप्स का वैल्युएशन कम हो रहा है।हालांकि, राहत की बात यह है कि पिछले साल से भी ज्यादा फंडिंग के लिए बातचीत और समझौते हुए। आंकड़े के मुताबिक, पिछले साल 1,024 ही हुए थे, जबकि इस साल 1,031 फंडिग डील्स हुईं।इंडियन एंजल नेटवर्क (आईएएन) की अध्यक्ष पद्मजा रूपारेल ने कहा, ‘पिछले साल बहुत प्रचार-प्रसार हुआ था जिसमें अब थोड़ी कमी आ गई। इस साल हमें थोड़े ज्यादा कमिटेड आंट्रप्रन्योर्स देखने को मिले।’ रूपारेल ने बताया, ‘फ्लिपकार्ट, क्विकर, ग्रॉफर्स जैसे बड़े स्टार्टअप्स, जिन्होंने पिछले साल कई बार फंडिंग जुटाई थी, वो इस साल फिर से पूंजी नहीं जुटा पाए। टॉप टेन टेक्नॉलजी डील में आईबीबो ग्रुप और मेकमायट्रिप का विलय, यात्रा (नैस्डेक लिस्टेड टेरापिन द्वारा अधिग्रहित) और बुकमायशो व हाइक द्वारा की गई फंड रेजिंग शामिल है। हालांकि कुल फंडिक काफी कमजोर रही है लेकिन शुरुआती स्टेज की डील्स में कोई स्लोडाउन देखने को नहीं मिला है।’